आज हम इस लेख पर प्लास्टिक मुक्त भारत पर निबंध 2022 के ऊपर लिखा हूँ । यह निबंध स्कूल के छात्र से लेकर कॉलेज के छात्र के लिए भी काफी उपयोगी है।

वैश्विक स्तर पर आज हमारे धरती पर कई ऐसे पदार्थों की मौजूदगी हो गई है, जिससे प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। बढ़ते हुए प्रदूषण से मानव जाति के साथ-साथ पादप जगत को काफी नुकसान हो रहा है एवं यह कहा जा सकता है इससे कि उनका अस्तित्व संकट में है। वायु, मृदा एवं जल के साथ-साथ अब प्लास्टिक प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रही है, जिससे प्लास्टिक के अत्याधिक प्रयोग से भयंकर परिणामों का सामना करना पड़ रहा है। हमारे द्वारा प्रयोग किए जा रहे वाले प्लास्टिक से ऐसी समस्याएं जन्म ले रही हैं, जिसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। आज की ही नहीं बल्कि आने वाले भविष्य के लिए भी यह भयंकर खतरा बन सकता है। इसके लिए यह आवश्यक है कि प्लास्टिक मुक्त भारत का निर्माण किया जाए जिसमें प्लास्टिक के निशान को खत्म कर दिया जाए और प्लास्टिक मुक्त भारत का निर्माण कर इसे प्रदूषण रहित बनाया जाए।
आज के समय में प्लास्टिक का अत्याधिक इस्तेमाल हमारे पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है। हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक एक ऐसी चीज है जो मिट्टी में नष्ट नहीं हो सकती यानी कि इसे मिट्टी में नष्ट नहीं किया जा सकता है। आज वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रही है। इससे हम सोच सकते हैं कि आज के समय में प्लास्टिक की समस्या से जिन स्थितियों की उत्पत्ति हो रही है, आने वाले समय में हमें इससे और भयंकर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
प्लास्टिक मुक्त भारत की शुरुआत
प्लास्टिक मुक्त भारत की शुरुआत गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2019 में हुई थी, जिसकी घोषणा हमारे देश के केंद्र सरकार नरेंद्र मोदी ने किया था। उन्होंने ‘प्लास्टिक मुक्त भारत’ अभियान की शुरुआत कर प्लास्टिक के प्रयोग को न करने के लिए आग्रह किया है। इस अभियान का लक्ष्य 2022 तक निश्चित किया गया है ताकि प्लास्टिक के प्रयोग को धीरे-धीरे खत्म किया जा सके। आज प्लास्टिक मुक्त भारत की मांग बढ़ती जा रही है क्योंकि आने वाले दिनों में प्लास्टिक अत्यंत गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है। प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने के लिए भारत के नागरिकों को कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है।
भारत में प्लास्टिक के उत्पादक शहर
वैश्विक स्तर पर लगभग 6.3 बिलियन टन प्लास्टिक कचरा जमा हुआ है। हमारे देश के विभिन्न बड़े बड़े शहरों जैसे दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बंगलुरु, मुंबई, लखनऊ, आगरा आदि में प्लास्टिक का अत्यधिक उत्पादन एवं प्लास्टिक के अत्याधिक प्रयोग से विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आज इन बड़े शहरों में प्लास्टिक की संख्या इतनी अधिक बढ़ गई है जिसे कम कर पाना आम जनता के लिए काफी मुश्किल हो गया है लेकिन इसके बावजूद प्लास्टिक का उपयोग कम नहीं हो रहा है, जिसकी वजह से प्लास्टिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। आज मानव जाति के लिए यह एक गंभीर विषय बन चुका है जिस पर कार्य करने की आवश्यकता है। प्लास्टिक की शुरुआत भले ही मनुष्यों के दिनचर्या में क्रियाकलापों को आसान करने के लिए बनाया गया लेकिन इसके अत्याधिक और बेहिसाब प्रयोग हमारे पर्यावरण को ही नष्ट कर रहे हैं।
प्लास्टिक का प्रयोग एवं उत्पादन
प्लास्टिक का प्रयोग विभिन्न रूपों में किया जा रहा है जैसे पानी रखने के बोतल, आटा के साथ-साथ चावल और दाल आदि के प्लास्टिक, मसालों और कपड़ों की पैकेजिंग, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स की पैकेजिंग, चिप्स एवं अन्य पदार्थों के पैकेट आदि। इसके अलावा विभिन्न समारोह अथवा पार्टी में भी प्रयोग किए जाने वाले बर्तनों में प्लास्टिक का बेहिसाब प्रयोग होता है और इसे रीसायकल करवाने के लिए भी कोई अन्य विकल्प नहीं चुने जाते हैं। सर्वे के आंकड़ों की बात करें तो भारत में ही केवल 16,000 टन प्लास्टिक कचरे का उत्पादन हो रहा है जिसमें कि केवल 10,000 टन प्लास्टिक एकत्र किया जा रहा है। इसके अलावा बाकी बचे प्लास्टिक को पॉलिटिन, पैकेजिंग बैग्स और आदि के रूप में छोड़ दिया जाता है।
प्लास्टिक के दुष्प्रभाव
प्लास्टिक के दुष्प्रभावों की बात करें तो प्लास्टिक समस्या के अंतर्गत प्लास्टिक हमारे वातावरण को पूरी तरह से प्रदूषित करने पर तुल गए हैं। हमारे द्वारा त्याग अथवा उपयोग किए गए प्लास्टिक नालों में अटक जाते हैं जिससे नालों में जल जमा हो जाता है और कई दिनों तक रहने पर उसमें कीड़े लग जाते हैं तथा दुर्गंध उत्पन्न हो जाती है। अब यदि हम नदियों और समुद्र की बात करें तो नदियों और समुद्र में प्लास्टिक बहते चले जाते हैं लेकिन कई बार ऐसा होता है कि नदियों एवं समुद्र में रहने वाले जीवों के गले में प्लास्टिक अटक जाता है और वह इन समस्याओं से जूझते हुए मर जाते हैं। प्लास्टिक के कारण विशेषकर मछलियों की मौत हो जाती है। इसके अलावा प्लास्टिक का उपयोग हो जाने पर यदि उसे जलाया जाए तो वह जहरीली गैसें छोड़ते हैं, जो हमारे श्वसन अंगों को प्रभावित करता है। इन्हीं कारणों से यह आवश्यक है कि प्लास्टिक मुक्त भारत का निर्माण हो एवं जीव जंतुओं के अस्तित्व को बचाया जा सके।
प्लास्टिक मुक्त भारत के लिए उठाए जाने वाले कदम
अब प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने के लिए यह आवश्यक है कि कई महत्वपूर्ण एवं कठोर कदम उठाए जाएं, जिससे पर्यावरण एवं जीव जंतुओं के अस्तित्व की रक्षा हो सके। प्रदूषण मुक्त भारत के लिए आम जनता के साथ-साथ सरकार को भी कुछ महत्वपूर्ण कदमों को उठाने की आवश्यकता होगी। प्लास्टिक से संबंधित इन समस्याओं को दूर करना रातों-रात की बात नहीं है बल्कि इसके लिए भारत सरकार के साथ-साथ उन लोगों को भी ध्यान देना होगा जो प्लास्टिक संबंधित कार्य क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। इसमें निम्नलिखित बातों को शामिल किया गया है –
- बाजार अथवा मॉल जाते वक्त हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि हम कम से कम प्लास्टिक का उपयोग करें अथवा यदि संभव हो तो प्लास्टिक के कैरी बैग के स्थान पर हम कपड़े के थैलों का प्रयोग करें। कहीं भी जाते वक्त यह आवश्यक है कि हम अपने साथ कपड़े के थैले रखें ताकि कोई भी जरूरत पड़ने पर प्लास्टिक लेने के बजाय हम उन थैलों का ही उपयोग कर सकें।
- आजकल शादी विवाह अथवा किसी समारोह के मौके पर देखा जाता है कि प्लास्टिक के बर्तनों का प्रयोग किया जाता है जिसमें प्लास्टिक के थाली, गिलास और कप होते हैं। अतः यह आवश्यक है कि ऐसे समारोह में मिट्टी के बनाए बर्तनों अथवा अन्य धातु के बने बर्तनों का प्रयोग किया जाए जिससे हमारे स्वास्थ्य को किसी भी प्रकार की हानी न हो।
- प्लास्टिक मुक्त भारत के लिए यह आवश्यक है कि हम कम से कम प्लास्टिक का प्रयोग करें। हम एक बार प्लास्टिक का उपयोग कर उसका फिर से प्रयोग भी कर सकते हैं जिसके जरिए अधिक प्लास्टिक की खपत न हो और हमारा काम भी सुचारु रुप से चल सके।
- प्लास्टिक के स्थान पर हमें प्लास्टिक के अन्य प्रकार जैसे पीईटीई (PETE) और एचडीपीई (HDPE) प्रकार के सामान का अधिक प्रयोग करना होगा। यह प्लास्टिक के ऐसे प्रकार होते हैं, जो आसानी से रिसाइकल हो जाते हैं।
- प्लास्टिक मुक्त भारत के लिए हमें अपने आसपास के लोगों को भी इस बात के लिए जागरूक करने की आवश्यकता है कि प्लास्टिक का कम से कम अथवा न के बराबर प्रयोग करें। हम सभी के एकजुट होकर इस विषय पर ध्यान देने के बाद ही हमारा देश प्लास्टिक मुक्त भारत बन सकता है।
- प्लास्टिक से संबंधित कई उद्योगों में सरकार को ध्यान देना बेहद आवश्यक है कि प्लास्टिक का उपयोग न किया जाए अथवा ऐसे उद्योगों को बंद करने का आदेश दिया जाए जो प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को बढ़ाने में कार्यरत है या उन्हें जन्म दे रहे हैं।
- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए गए स्वच्छ भारत अभियान के तहत प्लास्टिक के विषय को भी जोड़ना आवश्यक है जिसके अंतर्गत प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वह प्लास्टिक का प्रयोग कम करें एवं हमारे देश को स्वच्छ बनाने की और आगे बढ़े।
हमारे द्वारा उठाए जाने वाले यह कुछ आसान तरीके थे जिससे हम प्लास्टिक मुक्त भारत के निर्माण में अपना सहयोग कर सकते हैं। अपने दैनिक जीवन में हम इनका प्रयोग कर भारत को प्लास्टिक मुक्त भारत बना सकते हैं और हमारे आने वाली पीढ़ियों की रक्षा भी कर सकते हैं। हमारे अंदर इस भावना का संचार होना चाहिए कि हम इस समस्या के समाधान के लिए दूसरे पर निर्भर न हो बल्कि इसकी शुरुआत हम खुद से करें एवं जितना हो सके अपने आसपास के लोगों तथा रिश्तेदारों को भी जागरूक करें।
उपसंहार
हमारे देश में केंद्र सरकार द्वारा चलाए जाने वाले ‘प्लास्टिक मुक्त भारत’ अभियान के तहत प्लास्टिक के समस्याओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है एवं इसके अलावा लोगों को इस बात के लिए भी जागरूक किया जा रहा है कि वह प्लास्टिक की समस्याओं एवं इसके दुष्प्रभावों के बारे में जान सके और प्लास्टिक का कम से कम प्रयोग करें। हमारे एकजुट प्रयासों के बदौलत ही हम अपने देश को प्लास्टिक मुक्त भारत बना सकते हैं। यदि आज हम प्लास्टिक के प्रदूषण को कम करने के लिए एक साथ कदम बढ़ाते हैं तो निश्चित है कि जल्द ही हम प्लास्टिक मुक्त भारत के निर्माण करने में सहायक हो सकते हैं। प्लास्टिक का कम से कम प्रयोग हमारे जीवन को सुरक्षित रखने के साथ-साथ पर्यावरण संकट से भी छुटकारा दिला सकता है।
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Great article. I’m going through many of these issues as well..
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Dear sir
Disadvantages of Plastics
Cheap production and easy availability make plastic very useful, but it has many shortfalls and its harmful effects are cause of huge concern for us to save our earth and ourselves.
Regards
Kumar Abhishek
Project
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