भाषा किसे कहते है ? – Bhasha Kise Kahate Hain

bhasha kise kahte hai

हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण विषय है भाषा। अगर आप नौंवी या दसवीं कक्षा के छात्र हो तो आपके भाषा के बारे में जरूर पता होना चाहिए। इसलिए हमने भाषा के ऊपर एक छोटी सी आर्टिकल लिखी है जिसे पढ़कर आप भाषा के बारे में अच्छे से समझ भी जाओगे और notes बनाकर परीक्षा के प्रश्न को भी सुलझा पाओगे। आज इस पोस्ट में हम जानेंगे bhasha kise kahte hai, bhasha kitne prakar ke hote और भी कोई सारे उदाहरण से भाषा को अच्छी तरह से समझेंगे।

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भाषा क्या है?

भाषा एक ऐसी साधन है जिसकी मदद से हम अपनी बातों और विचारों को आसानी से किसी दूसरे व्यक्ति के सामने व्यक्त कर सकते हैं। अपनी बातों को व्यक्त करने लिए हम वाचिक ध्वनियों का इस्तेमाल करते हैं और उन्हीं ध्वनियों को भाषा भी कहते हैं।

भाषा किसे कहते है

स्वर, वर्ण, शब्द, वाक्य इत्यादि के समूह से मिलकर बनने वाले ऐसे साधन जो मुख से उच्चारण के किसी की भावनाओं को दूसरे के सामने व्यक्त कर सके या समझा सके, वैसे समूह को भाषा कहते हैं अर्थात सभी ध्वनियों को सही व्यवस्था में लाकर अपने मन की बात दूसरों को बताई जाए तब उन ध्वनियों की व्यवस्था को भाषा कहते हैं। कई लोग भाषा को बोली, वाणी, ज़बान इत्यादि नामों से भी बुलाते हैं।

भाषा ना केवल बातों और भावनाओं को समझने या समझाने के लिए होता है बल्कि भाषा की मदद से हम अपने आंतरिक विकास, निर्माण, अस्मिता, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान करने में भी काफी मदद करता है। भाषा मनुष्य को पूर्ण बनाता है क्योंकि इसी की मदद से वह अपने परंपरा और इतिहास से आसानी से रूबरू हो सकता है।

दुनिया भर में हजार से भी ज्यादा भाषाओं का इस्तेमाल मनुष्यों द्वारा की जाती है। अपने देश या क्षेत्र की भाषा बचपन से ही सुनाई और सिखाई जाती है लेकिन दूसरे जगह के लोगों की भावनाओं को समझने के लिए हमें अलग – अलग भाषाओं का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। इसीलिए भाषा विज्ञान के की वैज्ञानिकों ने मिल कर दुनिया भर की भाषाओं को भिन्न तरीकों में विस्तार कर दिया है जिसमें कुछ भाषाओं को श्रेष्ठ या अहम मानकर बाकी भाषाओं को उनके अंग और उपवर्ग में विभाजित कर दिया है। उदाहरण के लिए – हिन्दी एक अहम भाषा है जिसे भाषा विज्ञान की सूची में एक शाखा की तरह स्थापित किया गया था और इसके उपवर्गों और अंगों कि सूची में अवधि, ब्रजभाषा जैसी कई भाषाओं को शामिल भी किया गया।

कई बोलियों और उपभाषाओं में कई समानताएं देखने को मिलती है और उन्हीं समानता के आधार पर भाषाओं की अनेकों शाखाएं और उपवर्ग को तैयार किया जाता है। मनुष्यों की तरह ही समय के अनुसार भाषा और उनके प्रयोग में परिवर्तन होते रहते हैं। उदाहरण के लिए पहले समय में भारत देश में संस्कृत भाषा की पढ़ाई ज्यादा होती थी और बोलचाल में भी इसका इस्तेमाल अधिक किया जाता था लेकिन वहीं आज के समय में देखा जाए तो हिन्दी भाषा का इस्तेमाल अभी बोलचाल में ज्यादा किया जाता है।

भाषा का अर्थ

भाषा शब्द संस्कृत की भाष धातु से बना है जिसका अर्थ हे- बोलना या कहना । अर्थात भाषा वह है जिसे बोला जाए।

अपने भावो या विचारों को व्यक्त करने का माध्यम भाषा है।

भाषा की परिभाषा

पुराने समय से ही भाषा को अलग – अलग तरीकों से परिभाषित किया जा रहा है। कई साहित्यकारों ने अपने ज्ञान और विचारों के आधार पर भाषा की परिभाषा दी है। उन परिभाषाओं में कुछ परिभाषा निम्नलिखित हैं –

  • कहते हैं कि भाषा की संस्कृत शब्द भाष से बना है जिसका मतलब बोलना या कहना होता है अर्थात् भाषा का सीधा अर्थ है बोलने का तरीका।
  • साहित्यकार प्लेटो का कहना था कि भाषा और विचार एक ही चीज है लेकिन दोनों में केवल ध्वनि का अंतर होता है। उनके मुताबिक जब किसी बात को मन में बिना ध्वनि के बोला जाए तो वो विचार कहलाता है जबकि वहीं बात जब ध्वनि के साथ होठ और जीभ इत्यादि की मदद से व्यक्त की जाती है तो वह भाषा कहलाती है।
  • स्वीट के अनुसार ध्वनि और शब्दों की मदद से व्यक्त की जाने वाले विचारों को भाषा कहते हैं।
  • एक साहित्यकार वेन्द्रीय का मानना है कि शब्द चिन्हों और उसके समूह को कहते हैं जिसकी मदद से विचार प्रकट की जाती है। उनके अनुसार भाषा के तीन प्रतीक हैं – श्रोत, नेत्र और स्पर्श जिनमें श्रोत ही भाषा का सबसे अच्छा प्रतीक है।
  • स्तृत्वा के मुताबिक किसी समुदाय और समाज का सहयोग या संपर्क करने के लिए प्रतीकों का इस्तेमाल करते हैं जिसे भाषा कहते हैं।

भाषा के प्रकार | Bhasha kitne prakar ke hote he

भाषा तीन प्रकार के होते है

  • उच्चरित भाषा: मुख से बोलकर अपने विचार प्रकट करने की भाषा ही उच्चरित भाषा। जैसे- राहुल और रमेश बात करके अपने विचार प्रकट कर रहे है।
  • लिखित भाषा: जब हम अपने विचारों को कलम और कागज के माध्यम से यानि लिखकर प्रकट करते है तो उसे हम लिखित भाषा कहते है। जैसे पत्र या चिट्ठी द्वारा।
  • सांकेतिक भाषा: जब हम संकेतों के द्वारा अपने विचार प्रकट करते है, तो उसे सांकेतिक भाषा कहते है। जैसे- हाथ हिला कर बुलाना, उंगली दिखाकर डाँटना, रेलगाड़ी रोकने या छोड़ने के समय हारी या लाल झंडी दिखाना।

इन सभी कार्य में हमारे दैनिक जीवन के लिए उच्चरित व लिखित भाषा का विशेष महत्व है। व्यावहारिक जीवन में उच्चरित तथा लिखित भाषा को ही भाषा के रूप में स्वीकार किया जाता है।

भाषा के विभिन्न रूप?

पहले के समय में भाषा का इस्तेमाल केवल कहानियां और कविताएं लिखने में कि जाती थीं लेकिन बदलते समय के साथ भाषा के कई रूप उभर कर सामने आए हैं जिसे ना केवल लिखने के लिए बल्कि हर जगह इस्तेमाल में लाया जाता है। निम्नलिखित भाषा के कुछ रूप हैं –

1.बोलचाल की भाषा –बोलचाल की भाषा का अर्थ है कि ऐसी भाषा या शब्दों का समूह जिसे हम किसी से बात करते वक्त इस्तेमाल करते हैं। बोलचाल की भाषा क्षेत्रों के हिसाब से बदलती रहती है। बोलचाल की भाषा सीखने या समझने के लिए हमें अलग – अलग तरह की बोलियों के बारे में जानना पड़ता है क्योंकि हर क्षेत्र की अपनी एक बोली होती है जो वहां के लोग बातचीत के दौरान इस्तेमाल करते हैं। बोली भाषा का ही एक मिश्रित अंग है जो क्षेत्र पर निर्भर करता है। बोलचाल की भाषा को सामान्य भाषा भी कहते हैं क्योंकि जब लोगों का एक समूह बात करने के लिए अपने आस पास के लोगों से सम्पर्क बनाने के लिए अपनी और मिलती जुलती बोली का इस्तेमाल कर अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए भाषा और बोली को मिलाकर समझाते हैं। इसी प्रकार जब कोई बोली उस समूह से निकाल कर और लोगों तक पहुंचने के बाद अपना विस्तार करती है तो वो धीरे – धीरे बोली से भाषा का रूप धारण कर लेती है।

2 मानक भाषा –किसी भी निश्चित की गई भाषा को मानक भाषा कहते हैं। इस तरह के भाषा का इस्तेमाल शिक्षा, पत्रकारिता और व्यवहार में किया जाता है। इस भाषा में उच्चारण और व्याकरण का तरीका निश्चित रहती है। मानक भाषा टकसाली भाषा के नाम से भी जाना जाता है। मानक भाषा सामाजिक प्रतिष्ठा को दर्शाने वाली भाषा है।

3.संपर्क भाषा –संपर्क भाषा एक ऐसी भाषा है जो दो तरह के लोगों को जोड़ने में सहायक होती है। देश – विदेश, एक राज्य से दूसरे राज्य, एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र के व्यक्ति के बीच संपर्क जोड़ने के लिए इस भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। आज के समय में भारत देश में हिन्दी भाषा संपर्क भाषा के रूप में उभर रही है जब की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी को संपर्क भाषा के रूप में अपनाया जा रहा है। हालांकि संपर्क भाषा किसी देश की मातृभाषा होना जरूरी नहीं है बल्कि संपर्क भाषा किसी देश की दूसरी भाषा हो सकती है जिसकी मदद से विदेश या दूसरे राज्य के लोगों से आसानी से संपर्क किया जाता है।

4. राजभाषा –किसी भी देश या या क्षेत्र के सरकारी कार्यों में इस्तेमाल होने वाली भाषा को राजभाषा कहते हैं। पूरे देश में इस भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाता है बल्कि इसका इस्तेमाल केवल सरकारी काम काज में ही होता है। भारत में राजभाषा की उपाधि हिन्दी को मिली है जबकि अलग – अलग राज्यों की अपनी एक राजभाषा होती है। राजभाषा सरकार और राज्य के लोगों के बीच एक सेतु की तरह काम करता है।

5. राष्ट्रभाषा –देश भर में जिस भाषा से अपनी विचार प्रकट की जा सके उसे राष्ट्रभाषा कहते हैं। यह ऐसी भाषा होती है जिसे देश की अधिकतर जनसंख्या आसानी से समझ सके। किसी देश की एकता, गौरव, अस्मिता और अखंडता का प्रतीक राष्ट्रभाषा होती है। राष्ट्रभाषा को राष्ट्र कि आत्मा भी कहते हैं। कई देश की एक ही राष्ट्र भाषा हो सकती है। हर देश की एक राष्ट्रभाषा होती है लेकिन हमारे भारत देश में किसी भी भाषा को राष्ट्र भाषा नहीं बताया गया है।

भाषा और व्याकरण

महिमा खेलता है।महिमा खेलती है।
मुखेश दिल्ली पर रहा है।मुखेश दिल्ली पर रहता है।
आन्ध्र प्रदेश भारत की राज्य है।आन्ध्र प्रदेश भारत का राज्य है।
रीना बहुत प्यारा है ।रीना बहुत प्यारी है ।

ऊपर लिखी गयी बायीं ओर की वाक्य शुद्ध नही है। पर दायीं ओर की तीनों वाक्य शुद्ध है। भाषा के शुद्धता और अशुद्धता का ज्ञान हमे व्याकरण से होते है। व्याकरण एक ऐसे विद्या है, जिसके द्वारा हम भाषा को उसके शुद्ध रूप में लिख या बोल सकते है।

हिंदी व्याकरण
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व्यंजन किसे कहते हैं
Hindi Varnamala
समास

बोली और भाषा में अंतर

किसी भी क्षेत्र या स्थान पर बोली जाने वाले मौखिक भाषा को बोली कहते है । बोली के प्रयोग केवल बोलचाल में ही किया जाता है।

भाषा बोली
भाषा का क्षेत्र व्यापक होता।बोली का क्षेत्र सिमित होता है ।
एक भाषा में कोई बोलिया होता है।बोली अकेला हुआ करते है।
विश्व साहित्य में भाषा का महत्वपूर्ण स्थान होता है, क्युकी भाषा में साहित्य सृजन होता है बोली का विश्व साहित्य में कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं होता । इससे साहित्य श्रीजान भी नहीं होता
भाषा को सामाजिक,राजनैतिक, व्यापारिक, आदि मान्यता पाप्त होती है। जैसे खड़ी बोली हिंदी के एक भाषा है बोली को मात्र सामाजिक क्षेत्रीय मान्यता पाप्त होती है. जैसे अंगिका के बोली है

लिपि क्या है?

भाषा को लिखने का ढंग को लिपि कहा जाता है ।

भाषा लिपि
पंजाबी गुरुमुखी
हिंदी देवनागरी
संस्कृत देवनागरी
गुजरती देवनागरी
मराठी देवनागरी
अंग्रेजी रोमन
उर्दू फार्सी

भाषा के प्रमुख कार्य क्या है?

1.सामाजिक समंध के लिए:भाषा के माध्यम से ही कोई व्यक्ति समाज के साथ आपसी ताल-मेल विकसित कर पाते है। मनुष्य भाषा के जड़िये आपने विचारो को अभिव्यक्त कर समाज में आपने भूमिका निर्धारित करता है।

2.भाषा मानव विकास का मूल आधार है:भाषा कि शक्ति के माध्यम से ही मनुष्य प्रगति के पथ पर अग्रसर हुआ है। भाषा के अभाव मनुष्य विचार एवं विकास नहीं कर सकता।

3.व्यक्ति के निर्माण में सहायक:भाषा व्यक्तित्वा के विकास में सहायक है। व्यक्ति अपने आतंरिक भावो को भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त करता है।

4. ज्ञान पाप्ति का प्रमुख साधन है : भाषा के माध्यम से ही पुराने पीड़ी को सामाजिक विकास के रूप में अब तक ला समस्त संक्ष्पित ज्ञान भावी पीड़ी को सौप दोय है।

5. शैक्षिक उपलब्धि के लिए अवश्यक: यदि बालक अपने विचारो भाषा के जड़िये अभिव्यक्त करने में सक्षम नहीं होता, तो इसका अर्थ है उसका शैक्षिक उपलब्धि पयाप्त नहीं है।

निष्कर्ष – Bhasha Kise Kahate Hain

उपरोक्त परिभाषाओ के आधार पर कहा जा सकता है कि भाषा विचार विनिमय का साधन है। साथ ही कोई व्यक्ति चाहता है तो भाषा के से अपने विचारों तथा अनुभव को लेख कविता पुस्तक आदि में व्यक्त भी कर सकता है।

उम्मीद है दोस्तों bhasha kise kahate hai आप समझ पाए होंगे। अगर आपको लगता है की भाषा के परिभाषा हमने आपको अच्छे से समझा पाया हूँ तो कमेंट करके जरुर । निचे दिए सोशल आइकॉन के माध्यम से पोस्ट को जरुर अपने दोस्तों के साथ शेयर करे। धन्यवाद ।।

भाषा विषय के ऊपर सवाल और जबाब

भाषा किसे कहते है?

अपने मन के विचार लिखकर या बोलकर प्रकट करने को ही भाषा कहते है।

भाषा कितने प्रकार के होते है?

भाषा तिन प्रकार के होते है- उच्चारित भाषा, लिखित भाषा और सांकेतिक भाषा

भाषा किस शब्द से बना है?

भाषा शब्द संस्कृत की भाष धातु से बना है

क्या गूंगा लोग भी अपने विचार प्रकट करने के लिए भाषा के उपयोग करते है?

भाषा का मतलब ही होते है अपने विचारों को दुसरो तक पहुचना। गूंगा मनुष्य भी इशारों से या संकेतो से अपने विचारों को दुसरो तक पहुचाता है अत: वे सांकेतिक भाषा के प्रयोग करते है।

भाषा और वव्याकरण में क्या संबंध है?

भाषा के शुद्धता और अशुद्धता का ज्ञान हमे व्याकरण से होते है

विश्व में कुल कितनी भाषाएं मान्यता प्राप्त है?

विश्व में कुल 22 भाषाएं मान्यता प्राप्त है

हिंदी का विश्व में कौन सा स्थान है?

विश्व के प्रमुख 11 भाषा में हिंदी भाषा को भी गिने जाते है

हिंदी भाषा के लिपि कौनसी है?

हिंदी भाषा के लिपि देवनागरी है

भारत में कुल कितने भाषाए बोली जाते है?

भारत में कुल 10000 से भी ज्यादा भाषाए बोली जाते है

भारत में सबसे प्राचीन भाषा कौनसी है?

भारत में सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत है

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