छत्रपति शिवाजी महाराज पर जीवनी | Biography of Chhatrapati Shivaji

Chhatrapati Shivaji

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छत्रपति शिवाजी महाराज पर जीवनी

राष्ट्रीयता के जीवंत प्रतीक के रूप में हम छत्रपति शिवाजी महाराज को पूरी श्रद्धा के साथ याद करते हैैं। मराठा साम्राज्य की बात आते ही हमें शिवाजी महाराज के महत्वपूर्ण इतिहास की गाथा स्मरण हो जाती है। उन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी। आज हम आपको महान राजा एवं रणनीतिकार छत्रपति शिवाजी की जीवनी (Biography of Chhatrapati Shivaji in Hindi) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें छत्रपति शिवाजी के प्रारंभिक जीवन से लेकर उनके राज्याभिषेक, वैवाहिक संबंध, विभिन्न सम्राटों के बीच उनके युद्ध एवं धार्मिक कार्यों से जुड़े हर महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में, जो आज भी हमारे लिए प्रेरणा का एक प्रमुख स्रोत है।

विषय सूची

छत्रपति शिवाजी महाराज का परिचय

छत्रपति शिवाजी उर्फ़ शिवाजी भोसले एक भारतीय शासक एवं मराठा साम्राज्य के संस्थापक भी थे। शिवाजी एक बुद्धिमान, बलशाली और निडर राजा थे। शिवाजी महाराज जी को हिंदुओं का नायक भी कहा जाता है। वह महाभारत एवं रामायण का अभ्यास बड़े ही ध्यान एवं एकाग्रता से करते थे। 1674 ईसवी में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ एवं उन्हें छत्रपति की उपाधि मिली।

शिवाजी महाराज का प्रारंभिक जीवन

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 ईस्वी में शिवनेरी दुर्ग नामक स्थान में हुआ था। शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले एवं माता का नाम जीजाबाई था।शिवाजी का नाम उनकी माता ने भगवान शिव के नाम पर रखा था एवं वह हमेशा शिव जी से यही प्रार्थना करती थी कि उनका संतान यानी शिवाजी हमेशा स्वस्थ रहे।

उनके पिता जी शाहजी भोंसले एक मराठा सेनापति थे जो कि डेक्कन सल्तनत के लिए कार्य किया करते थे। शिवाजी अपनी मां के प्रति बेहद समर्पित थे। उनकी मां उनको धार्मिक कहानियां सुनाया करती थी, विशेषकर महाभारत एवं रामायण की कहानियां। महाभारत एवं रामायण की कहानियां सुनकर ही शिवाजी जागरूक हुए एवं उन्होंने रामायण एवं महाभारत के रास्ते पर भी चलना शुरू किया।

बाल साहित्यकार के रूप में छत्रपति शिवाजी की भूमिका

छत्रपति शिवाजी को विश्व का प्रथम बाल साहित्यकार माना जाता है । इन्होंने 14 वर्ष की आयु से ही लेखन शुरू कर दिया था। इनके प्रमुख लेखनी बुधभूषणम (संस्कृत), नायिकाभेद , सातसतक, नखशिख (हिंदी) इत्यादि है। शिवाजी ने मराठी, कन्नड़ , पंजाबी , हिंदी, अंग्रेजी , उर्दू इत्यादि सभी भाषाओं में अपनी लेखनी लिखी थी। जिस तेजी के साथ इन्होंने लेखन का कार्य किया था, उसी तेजी से इन्होंने तलवार भी चलाया था।

छत्रपति शिवाजी की पत्नी और पुत्र

छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह 14 मई 1640 में साईंबाई निम्बालकर के साथ पुणे के लाल महल में हुआ था। विवाह उपरांत उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिनका नाम संभाजी था, जिसका जन्म 14 मई 1657 तथा मृत्यु 11 मार्च 1689 को हुई जो उनके उत्तराधिकारी भी थे। संभाजी अपने पिता शिवाजी से बिल्कुल अलग थे उनमें अपने पिता के जैसे कर्मठता और दृढ़ संकल्प लेने की कमी थी। संभाजी का विवाह येसुबाई से हुआ तथा उनके पुत्र एवं उत्तराधिकारी राजाराम थे।

छत्रपति शिवाजी का गुरिल्ला युद्ध

कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी ने हीं गुरिल्ला युद्ध का आविष्कार किया था। पहली बार उनके ही इस युद्ध नीति से प्रेरित होकर वियतनामियों ने अमेरिका से जंगल जीत ली थी। इस युद्ध का उल्लेख ‘ शिव सूत्र ‘ में मिलता है। गुरिल्ला युद्ध को ‘छापामार युद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है। छापामार युद्ध के अंतर्गत सैनिकों की मदद से अपने दुश्मनों के ऊपर पीछे से हमला बोला जाता है और उन पर आक्रमण कर दिया जाता है।

छत्रपति शिवाजी की नौसेना

शिवाजी ने बहुत मेहनत और मशक्कत के बाद एक मजबूत सेना को बनाया था। शिवाजी के पास एक बहुत बड़ी नौसेना थी जिनके मुखिया मयंक भंडारी थे, जो सैन्य रणनीति में निपुण थे और उनके पास दुश्मनों पर हमला करने के नए तरीके सम्मिलित थे।

शिवाजी की सेना संगठित, प्रशिक्षित और अनुशासित पग सेना जो संभवत एक लाख से अधिक थी इसके अतिरिक्त अश्व सेना, जल सेना,और संभवत तोप भी इनकी सेना में शामिल थे। शिवाजी की सेना में अश्वरोही सेना बहुत गतिशील थी जिसके दो समूह थे-

  1. सिलाहदार: जिन सैनिकों के पास अपना घोड़ा और सज्जो सम्मान होता था।
  2. बारगीर: जिन्हें घोड़ा और सज्जो सम्मान सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता था।

छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक

शिवाजी एक बहुत बड़े क्षेत्र पर शासन करने तो लगे लेकिन इन्हें अभी भी लुटेरा ही समझा जाता था, इस कारण शिवाजी राज्याभिषेक करवाकर वैधानिक रूप से शासक के रूप में अपने आपकी उपस्थिति दर्ज करवाना चाहते थे। शिवाजी ने बड़ी शान शौकत से रायगढ़ में राज्य अभिषेक करवाया गंग भट्ट पुरोहित जो लंबी अवधि तक बनारस में रहे थे, गंगभट्ट का वास्तविक नाम पंडित विश्वेश्वर था।

वैदिक विधियों से इन्होंने राज्याभिषेक कराया, अपने को सिसोदिया का वंशज घोषित किया, मराठा कुलभूषण हैंदव धर्म आधारित, ब्राह्मण गौ रक्षक, और प्रतिपालक छत्रपति आदि उपाधि धारण की।

शिवाजी महाराज का आदिलशाही साम्राज्य पर आक्रमण

शिवाजी के विख्याति से परेशान जब बीजापुर के शासक आदिलशाह शिवाजी को बंदी ना बना सके तो उन्होंने शिवाजी के पिता जी को गिरफ्तार कर लिया। जब यह बात शिवाजी को पता चला तो उन्होंने नीति एवं साहस से आदिलशाह के चंगुल से अपने पिता को छुड़ा लिया। तब आदिलशाह ने अपने मक्कार सेनापति अफजल खान को आदेश दिया कि शिवाजी को मुर्दा बनाकर लेकर आए। भाईचारे एवं सुलह का नाटक करने का दिखावा करते हुए अफजल खान ने अपने बाहों के घेरे में लाकर शिवाजी को मारने का प्रयास किया परंतु चालाक शिवाजी के पास छिपे बघनखे से शिवाजी ने अफजल खान को मार गिराया यह घटना जब अफजल के सेनापतियों ने देखा तो वह दुम दबाकर भाग गए।

छत्रपति शिवाजी और मुगलों के बीच युद्ध

शिवाजी की बढ़ती शक्तियों से चिंतित होकर मुगल बादशाह औरंगजेब ने सूबेदार को शिवाजी के साथ मैदान में उतार दिया। परंतु आखिरकार सूबेदार को मुंह की खानी पड़ी उन्होंने पहला तो अपने पुत्र खो दिया और दूसरा उनकी उंगलियां कट गई और वह फिर मैदान छोड़कर भाग गए। इस घटना से प्रभावित होकर औरंगजेब ने अपने सबसे प्रभावशाली सेनापति मिर्जा राजा जयसिंह के नेतृत्व में एक लाख सेनापति भेजा।

छत्रपति शिवाजी और अफजल खान के बीच युद्ध

शिवाजी के जीवनशैली से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण तथा चर्चित घटना अफजल खान के युद्ध से जुड़े थे। बीजापुर ने अपने प्रसिद्ध सेनापति अफजल खान को सन् 1659 ई• में अंतिम रूप से शिवाजी को समाप्त करने को भेजा।

अफजल खान युद्ध से पूर्व बीजापुर से लेकर प्रतापगढ़ के किले के बीच बहुत से मंदिरों को तोड़ा अथवा कई निर्दोष लोगों की जानें भी ली, अफजल खान ने मराठा राज्य में भय और आतंक फैलाने का प्रयास किया ताकि शिवाजी भयभीत होकर समर्पण कर दें।

शिवाजी के पास कृष्ण जी राव भास्कर को दूत बनाकर भेजा गया जिन्होंने शिवाजी को सुरक्षा के प्रति सतर्क रहने का संकेत दिया। शिवाजी ने अपनी सुरक्षा का प्रबंध कर सेना को समीप के जंगल में रहने का आदेश दिया अफजल खान शिवाजी से मिलने पर हत्या करने का प्रयास किया लेकिन अपने हत्यार (बनखारे, धूरा) से शिवजी ने अफजल खान की हत्या कर दी।

जीतन महल ने अफजल खान के अंगरक्षक महान तलवार बाद हुसैन शाह गर्दी की हत्या कर दी और उनके सेना में भगदड़ मच गया। इस प्रकार शिवाजी को भारी मात्रा में धन संपत्ति और साजो सम्मान प्राप्त हुआ।

छत्रपति शिवाजी की राज्य सीमा

छत्रपति शिवाजी की राज्य सीमा उत्तर की ओर बागलना तथा दक्षिण में पुणे और नाशिक जिले के बीच होते हुए कोल्हापुर और सतारा जिले के अधिकतर हिस्सों को अपने क्षेत्र में सम्मिलित कर लेते थे। इस तरह पश्चिमी कर्नाटक का क्षेत्र बाद में शामिल हुआ। स्वराज के इस क्षेत्र को मुख्य रूप से निम्न भागों में बांटा गया था –

  1. पुणे से होकर सलहर तक का हिस्सा, कोंकण का हिस्सा, जिस में उत्तरी कोकन भी शामिल था, जो पेशवा मोरोपंत पींगले के नियंत्रण में था।
  2. देश के दक्षिणी क्षेत्र के जिले जिसमें धारवाड़ से लेकर सातारा और कोफाल के बीच का क्षेत्र था, जो दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र के अंदर आते थे और इस पर दत्ताजी पंत का नियंत्रण था।

छत्रपति शिवाजी का प्रशासनिक कौशल

शिवाजी को इतिहास में एक महान मराठा साम्राज्य के रूप में जाना जाता है। लेकिन बेहद कम ही लोग इस बात से अवगत है कि उनकी शिक्षा बेहद खास नहीं हुई है। इसके बावजूद भी उनमें राजनीति एवं प्रशासनिक कौशल कूट कूट कर भरा था। शिवाजी के प्रशासनिक कार्यों में मदद के लिए उनके पास 8 मंत्रियों की एक विशेष सभा थी, जिन्हें अष्टप्रधान भी कहा जाता था।

अष्टप्रधान के मंत्रियों को पेशवा की संज्ञा दी गई थी और राजा के बाद प्रजा में सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावपूर्ण स्थान पेशवा का ही होता था। इसके अतिरिक्त एक वित्त मंत्री अलग से राजकाज एवं राज्य को से जुड़े का लेखा-जोखा रखता था एवं मंत्री राजा के दैनिक क्रियाकलापों का लेखा-जोखा रखते थे।

सचिव जो कि दफ्तर से जुड़े कार्य को किया करते थे एवं सुमंत विदेशी यात्राओं का लेखा-जोखा रखता था। साधारण भाषा में सुमंत विदेशी मंत्री के तौर पर कार्य करता था। सेनापति जो कि सेना का प्रधान होता था और सभी युद्ध में सेना का संचालन करता था। इसके अतिरिक्त पंडित मंदिर का पूर्ण संचालन एवं न्याय से जुड़े कार्यों में राजा की विशेष मदद किया करते थे।

छत्रपति शिवाजी के दुर्ग

छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने शासनकाल में लगभग 360 किले जीते इनमें से अधिकतर किले महाराज छत्रपति शिवाजी ने औरंगजेब के साथ युद्ध के बाद जीते थे। इसी कारण आज केवल छत्रपति शिवाजी महाराज की ही वजह से महाराष्ट्र को किलो का घर कहा जाता हैं।

6 जून 1674 को रायगढ़ में वीर छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था, जिसके बाद उन्होंने मराठा साम्राज्य में जाति भेद ख़त्म कर दिया था और भारत में छत्रपति शिवाजी ने ही सर्वप्रथम नौसेना का निर्माण किया था। शिवाजी के इन्ही सत्कर्मो और कौशल के बदौलत उन्हें छत्रपति की उपाधि मिली।

छत्रपति शिवाजी के धार्मिक कार्य

छत्रपति शिवाजी धर्म से मराठा हिंदू थे और स्वभाव से वे एक कट्टर हिंदूवादी थे लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि वह अन्य धर्मों का सम्मान नहीं करते थे। वह सभी धर्मों का बेहद सम्मान करते थे। वे केवल मुगल साम्राज्य के अत्याचारों और अन्याय के खिलाफ थे।

इसका पता हमे इसी बात से चलता है कि महाराज छत्रपति शिवाजी के सेना एवं उसके उनके प्रजा में जितने भी मुस्लिम समुदाय के लोग थे, वह सभी खुश और प्रसन्न थे। इसके अतिरिक्त महाराज हमेशा ही मस्जिदों और मजारों के लिए दान करते थे। इसके साथ ही वे स्वतंत्र रूप से हिंदू धर्म का प्रचार करते थे। ऐसा वे विशेषतः दशहरे के अवसर पर ही किया करते थे।

छत्रपति शिवाजी की मृत्यु (Death of Chhatrapati Shivaji)

साल 1680 के 3 अप्रैल के दिन एक लंबी बीमारी को लगभग 3 सप्ताह तक झेलने के बाद छत्रपति शिवाजी की मृत्यु हो गई और महाराज मराठा साम्राज्य का एक लाल हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में अमर हो गया। जब शिवाजी महाराज की मृत्यु हुई थी, तब उनकी उम्र केवल 50 वर्ष थी। उनकी मृत्यु का प्रमुख कारण बुखार और पेचिश को माना जाता है।

कुछ विशेष किदवंतियों के अनुसार ऐसा भी माना जाता है कि उन्ही के मंत्रियों द्वारा उनकी हत्या की साजिश रची गयी थी क्योंकि मंत्रियों को शिवाजी के कुछ निर्णय पसंद नहीं आये थे। हालांकि शिवाजी महाराज अपने पूरे जीवन काल में मराठा साम्राज्य की पुनर्स्थापना के लिए ही जिए।

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती (Birth anniversary of Chhatrapati Shivaji Maharaj)

यदि महाराष्ट्र साम्राज्य के इतिहास में किसी वीर पुरुष का नाम सबसे पहले आयेगा तो वह केवल छत्रपति शिवाजी का ही होगा। वर्तमान समय में महाराष्ट्र में शिवाजी जयंती मनाई जाती है जो कि केवल महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरे देश में शिवाजी के सम्मान में मनाई जाती है। शिवाजी महाराज की जयंती भारत में 19 फरवरी के दिन प्रतिदिन काफी उत्साह एवं गौरव के साथ मनाई जाती है।

प्रश्न- शिवाजी महाराज का जन्म कब हुआ था?

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था।

प्रश्न 2- शिवाजी महाराज की पत्नी का नाम क्या था?

शिवाजी महाराज की पत्नी का नाम साईं बाई निम्बालकर था।

प्रश्न 3- शिवाजी महाराज का युद्ध किनके साथ हुआ था?

शिवाजी महाराज ने मुगलों के अलावा अफजल खान के साथ भी युद्ध किया था।

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