क्रिसमस पर निबंध, भाषण, लाइन हिंदीमें | Essay on Christmas in Hindi, Christmas par nibandh

प्रस्तावना :
क्रिसमस ईसाइयों का प्रमुख त्यौहार है इसे पूरी दुनिया में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। केवल ईसाई ही नहीं बल्कि दूसरे धर्मों के लोग भी इस त्यौहार को काफी हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। पूरा विश्व इस उत्सव को काफी खुशी के साथ मनाता है । हर वर्ष 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है ।ऐसा माना जाता है कि इसी दिन प्रभु यीशु का जन्म हुआ था और प्रभु यीशु के जन्मदिन के अवसर पर इस त्यौहार को मनाने की परंपरा चली आ रही है। 25 दिसंबर को प्रभु यीशु ने बेथलेहम में जन्म लिया था। इनके पिता का नाम जोसेफ था और इनकी मां का नाम मैरी था। इस दंपत्ति के यहां है प्रभु यीशु 25 दिसंबर को जन्मे थे।
कब एवं क्यों मनाया जाता है क्रिसमस का पर्व
क्रिसमस का त्योहार प्रभु यीशु मसीह के जन्म के जश्न के रूप में मनाया जाता है । कुछ लोग इसे अलग तरह से भी मनाते हैं। लेकिन मुख्यता रूप से क्रिसमस यीशु मसीह के जन्म पर ही आधारित है। 25 दिसंबर को यीशु मसीह ने जन्म लिया था और इसी अवसर पर क्रिसमस मनाया जाता है । वास्तव में यीशु के जन्म तिथि को लेकर के कोई भी पुख्ता प्रमाण नहीं प्राप्त होते हैं।
लेकिन फिर भी सूत्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि 137 ईसवी में रूम के बिशप ने यह आदेश दिया था कि क्राइस्ट के बच्चे का जन्म दिवस काफी गंभीर दावत के तौर पर धूमधाम से आयोजित किया जाएगा। इसके बाद 350 ईसवी में जूलियस प्रथम नाम के एक रोमन बिशप हुए और उन्होंने 25 दिसंबर को क्रिसमस के रूप में चयनित किया । क्रिसमस का अर्थ मसीह का माह होता है मसीह के पालन दिवस को भी क्रिसमस कहा जाता है और इसके लिए 25 दिसंबर की तारीख का चुनाव किया गया था।
कौन थे यीशु मसीह?
यीशु मसीह को ईसाई धर्म का संस्थापक माना जाता है। ईसाई धर्म के सर्वप्रथम प्रॉफेट यीशु मसीह ही थे। इन्हें यूसुफ, यहोवा, ईसा मसीह,यीशु आदि नामों से संबोधित किया जाता है । अंग्रेजी में इन्हीं जीसस भी कहा जाता है । यीशु मसीह के जन्म को लेकर के काफी मतभेद और विवाद भरे सिद्धांत प्राप्त होते रहे हैं। मान्यताओं के अनुसार यीशु मसीह का जन्म कुंवारी मां मरियम के गर्भ से हुआ था। इनके पिता का नाम जोसेफ था जो कि एक बढ़ई थे।
मरियम जोसेफ की धर्मपत्नी थी। यीशु मसीह के जन्म के 1 दिन पहले स्वर्ग के दूत ने इनकी मां मरियम को दर्शन दिया था और उन्हें यह कहा था कि वह स्त्रियों में धन्य है क्योंकि ईश्वर के पुत्र का जन्म उनके गर्भ से होने वाला है। यह सुनकर के इनकी मां आश्चर्यचकित हो गई थी । इसके बाद सम्राट आगस्टस ने न सभी लोगों की जनगणना शुरू करने का आदेश दिया था जो कि येरूशलम में नागरिक के तौर पर अपना नाम दर्ज करवाने जा रहे थे। उसी वक्त यीशु मसीह के माता-पिता मरियम एवं जोसेफ बेथलेहम के लिए रवाना हुए और वहां पर ही मरियम ने यीशु मसीह को जन्म दिया था।
यीशु मसीह के जन्म का उद्देश्य
यीशु मसीह का जन्म नियम को रद्द करने के लिए नहीं बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए हुआ था । उन्होंने इस बात को खुद भी स्वीकार किया कि उनका जन्म मूसा के नियमों को पूरा करने के लिए हुआ है। यीशु मसीह यहूदियों के पर्व को मान्यता देते थे और मंदिर में भी आते थे लेकिन वह यहूदी धर्म को पूरा नहीं समझते थे। वाह कर्मकांड के विरोधी थे और नैतिकता को ही धर्म का आधार मान कर के उसे ही अधिक महत्व प्रदान करते थे। यीशु मसीह द्वारा किए गए चमत्कारों को देखकर के जनता काफी आकर्षित होती थी और जनता के द्वारा उन्हें ही नबी का स्थान प्रदान कर दिया गया था । तब यीशु मसीह ने यह स्वीकार भी किया था कि वह केवल मसीह है अर्थात् परमात्मा के पुत्र हैं। जिसे राज्य को स्थापित करने के लिए स्वर्ग से भेजा गया है।
क्रिसमस का आयोजन एवं सजावट
क्रिसमस के अवसर पर ईसाई अपने घरों को साफ करते हैं एवं गिरजा घरों को भी साफ किया जाता है। इसके बाद विशेष तौर पर इन्हें काफी खूबसूरती के साथ सजाया जाता है। क्रिसमस के अवसर पर गिरजाघरों को ढेर सारी रंग बिरंगी रोशनी एवं मोमबत्तीयों के साथ रोशन किया जाता है और इन्हें खूबसूरत ढंग से सजाया जाता है । चाहे वह गरीब हो या फिर अमीर सभी के घर में क्रिसमस काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर व्यक्ति इस दौरान काफी खूबसूरत लाइट्स, उपहार ,गुब्बारे ,फूल एवं क्रिसमस ट्री अपने घर में सजाता है। क्रिसमस के अवसर पर आनंद गीत भी गाया जाता है जो कि काफी प्रसिद्ध है इस दिन लोग खुलकर के गाते बजाते हैं और अपने मसीह के जन्म दिवस को मनाते हैं।
क्रिसमस का तोहफा
क्रिसमस के अवसर पर लोग अपने नज़दीकियों एवं रिश्तेदारों को तोहफे भी देते हैं। और इस दौरान यीशु मसीह से प्रार्थना करके अपनी गलतियों के लिए क्षमा भी मांगते हैं । क्रिसमस के अवसर पर प्रभु यीशु मसीह का गुणगान में लोग पवित्र मंत्र गाते हैं और पवित्र भजनों के द्वारा यीशु मसीह को याद करते हैं । इस दिन बच्चों को सैंटा क्लॉस उपहार भी बांटते हैं एवं ग्रीटिंग कार्ड सभी लोग अपने मित्रों एवं रिश्तेदारों को देते हैं। क्रिसमस का भोज भी बड़ा शानदार तरीके से आयोजित होता है। जिसमें काफी सारे पकवान बनाए जाते हैं और परिवार के सभी सदस्य मिलकर के इस शानदार दावत का आनंद उठाते हैं। बच्चे क्रिसमस का काफी उत्सुकता से इंतजार करते हैं क्योंकि इस अवसर पर सैंटा क्लॉस उन्हें उपहार देता है । क्रिसमस यूं तो 25 दिसंबर को मनाया जाता है। लेकिन स्कूल एवं कॉलेजों में क्रिसमस का आयोजन 24 दिसंबर को है कर दिया जाता है। इस अवसर पर स्कूल के बच्चे सैंटा क्लॉस की भेषभूषा कर के स्कूल जाते हैं।
निष्कर्ष- Essay on Christmas in Hindi
क्रिसमस के अवसर पर ईसाई अपने प्रभु यीशु को याद करते हैं और उनकी याद में नृत्य, संगीत , गाना, बजाना सब कुछ करते हैं । कुछ लोग मॉल एवं रेस्टोरेंट में जाकर के भी क्रिसमस मनाते हैं। इस दौरान ईसाई धर्म को मानने वाले लोग प्रभु यीशु की प्रार्थना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि परमात्मा ने अपने बेटे यीशु को लोगों के पास उनके जीवन की रक्षा के लिए भेजा था ।यीशु को लोगों का पाप और दुख नष्ट करने के लिए पृथ्वी पर भेजा गया था। यीशु मसीह के अच्छे कामों को याद करने के लिए क्रिसमस काफी धूमधाम से ईसाईयों के द्वारा मनाया जाता है। क्रिसमस के अवसर पर सभी जगह सार्वजनिक एवं धार्मिक आकाश घोषित किया जाता है और सभी सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थान भी इस दिन बंद रहते हैं।
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क्रिसमस कब मनाया जाता है?
क्रिसमस 25 दिसम्बर को मनाया जाता है.
क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?
क्रिसमस जिसु मसीहा के जन्मदिन उपलक्ष में मनाया जाता है.
कौन है जिसु मसीहा?
जिसु मसीहा को इसाई धर्मं की संस्थापक माना जाता है.
जिसु मसीहा का जन्म किस तारीख को हुआ था?
जिसु मसीहा का जन्म 25 दिसम्बर को हुआ था.