दीपावली पर निबंध | Essay On Diwali in Hindi

Essay On Diwali in Hindi

दीपावली पर निबंध | Essay On Diwali in Hindi

Essay On Diwali in Hindi

दीपावली हिंदुओं का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष बड़ी धूमधाम से भारत के अलग अलग क्षेत्रों में मनाया जाता है। दीपावली पूरे भारत देश में सभी नागरिकों के द्वारा बड़ी धूम धाम से मनाई जाने वाली खुशियों के त्यौहार के रूप में मानी जाती है। दीपावली में घर-घर में भगवान गणेश और लक्ष्मी माता जी की पूजा होती है। भारतीय दिवाली के त्यौहार को अन्य देश में रहते हुए भी बड़े धूमधाम से मनाते है।

जिस प्रकार मुसलमानों के लिए ईद, सिक्खों के लिए गुरु पर्व और ईसाइयों के लिए क्रिसमस का त्यौहार होता है ठीक उसी प्रकार हिंदुओं के लिए दीपावली का त्यौहार भी उतना ही महत्व रखता है। दिवाली को 2 दिन तक छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व अच्छाई का बुराई पर विजय का प्रतीक है। भारत के सभी हिंदुस्तानी इस पर्व को काफी धूमधाम से मनाते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि भारत के अलावा कई अन्य देशों जैसे म्यांमार, श्रीलंका और नेपाल में भी बड़े ही उत्साह के साथ दीपावली मनाई जाती है। दीपावली अपने अंदर के अंधकार को मिटा कर के पूरे संसार को प्रकाशमय बनाने का त्योहार है।

दीपावली का अर्थ – दीपावली पर निबंध

दीपावली संस्कृत शब्द दीपावलिः से आया है, जो दो शब्दों “दीप” और “अवलिः” से मिलकर बनता है। इसका अर्थ है दीपों की पंक्ति। दीपावली के त्यौहार पर हर साल दिए जलाकर दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। दीप जलाने का एक अर्थ ये भी है कि अंधकार कितना भी घना क्यों ना हो, उजाले की किरणों से समाप्त हो ही जाता है। इसलिए चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो, हमें मन को स्थिर रखना चाहिए और घबराना नहीं चाहिए। हर काली रात के बाद एक सुबह जरूर होती है। इसलिए दीपावली के इस त्यौहार से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

दीपावली मनाने का कारण

भारतवर्ष में मनाई जाने वाले हर त्योहार का अपना एक इतिहास होता है, जिसके पीछे या तो पौराणिक कथाएं जुड़ी होती हैं या फिर कोई रहस्य। यदि आप दीपावली मनाने के कारण के बारे में नहीं जानते तो आपको बता दें कि दीपावली का त्यौहार आज से नहीं बल्कि सालों पहले से मनाया जाता रहा है। दीपावली मनाने का कारण यह है कि जब श्री राम, सीता मैया और लक्ष्मण जी अपने 14 साल के वनवास को खत्म करके वापस अयोध्या को लौटे थे। तब अयोध्या वासियों ने अपनी खुशी जाहिर करने के लिए पूरे अयोध्या भर में जगमग करते हुए दीयों को लगाया था एवं सभी ने अपने घर को दिए से भर दिया था‌। इसी कारण पूरे अयोध्या में रात के समय में भी पूरी रोशनी लग रही थी।

श्री रामचंद्र, सीता मैया और लक्ष्मण जी के आने पर पूरी अयोध्या झूम उठी और इसी खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने उस दिन मिलकर गणेश जी एवं लक्ष्मी जी की काफी श्रद्धा के साथ पूजा की। यही कारण है कि आज भी दीपावली को इतना महत्व दिया जाता है और हर साल इसे इतनी धूमधाम से मनाया जाता है।

अन्य पढ़े:

दीपावली से जुड़ी पौराणिक कथा

दीपावली मनाने से संबंधित कई पौराणिक कथाएं काफी प्रचलित हैं। काफी प्राचीन और पहली पौराणिक कथा के मुताबिक, सतयुग में जब भक्त प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप के अत्याचार बढ़ने लगे थे और वह सभी को भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से रोक रहा था, तब उसे सजा देने के लिए स्वयं भगवान विष्णु, नरसिंह भगवान के रूप में अवतरित हुए थे। इसके बाद उन्होंने हिरण्यकश्यप को अपने हाथों से मुक्ति दी थी जिसके बाद से ही दीपावली के त्योहार की शुरुआत हुई।

दीपावली के बनाए जाने के कारण से संबंधित एक और पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जिसके अनुसार कार्तिक अमावस्या के समय भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, जिसके बाद से ही दीपावली के त्यौहार का प्रचलन शुरू हुआ।

वहीं एक और पौराणिक कथा की बात करें तो कहा जाता है कि जिस दिन हम दीपावली का त्यौहार मनाते हैं, उसी दिन मां शक्ति ने महाकाली का रूप धारण किया था और सभी राक्षसों तथा बुरी शक्तियों का नाश किया था। इसलिए इस दिन को हम दीपावली के त्योहार के रूप में मनाते हैं और भगवान से हर बुराइयों का नाश करने की इच्छा प्रकट करते हैं।

दीपावली कब मनाई जाती है?

दीपावली दशहरे के 21 दिन बाद अक्टूबर से नवम्बर माह के बीच में कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस त्यौहार को धूमधाम से कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्वितीय अर्थात् पाँच दिन तक मनाया जाता है। दीपावली के आने से पहले ही लोग इसकी तैयारियों में जुट जाते हैं, खासकर बच्चे बेसब्री से दीपावली का इंतजार करते हैं।

दीपावली मनाने की तैयारियां – Essay On Diwali in Hindi

दीपावली का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है, जिसे लगभग सभी धर्म के लोग मनाते हैं। इस त्योहार के आने के कई दिन पहले से ही घरों की लिपाई-पुताई, सजावट प्रारंभ हो जाता है। इसके पहले नए कपड़े बनवाए जाते हैं, मिठाइयां बनाई जाती हैं और घर की साफ सफाई शुरू हो जाती है। दीपावली में जो घर काफी साफ सुथरा और गंदगी रहित रहता है, वहां साक्षात मां लक्ष्मी का निवास होता है, जिससे खुशियों का आगमन भी होता है।

दिवाली के शुभ अवसर पर भगवान माता लक्ष्मी जी और श्री गणेश की पूजा की जाती है। यह पूजा धन की प्राप्ति और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति के लिए की जाती है। लक्ष्मी जी के घर में स्वागत के लिए उस दिन हर घर में रंगोली बनाई जाती है। इसके अलावा दीपावली के शुभ अवसर पर लोग अपने घरों को दीयों के अलावा मोमबत्ती और फूलों से भी सजाते हैं। इस दिन लक्ष्मी जी और भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना करने से काफी लाभ पहुंचता है। लक्ष्मी जी के आगमन की खुशी में चारों तरफ चमक-दमक की जाती है। भारतवर्ष में इस त्यौहार को बड़े उत्साह एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है।

दीपावली का महत्व

दीपावली का त्योहार सभी के जीवन को खुशियां देकर नई जीवन जीने के लिए उत्साह प्रदान करता है। दीपावली का त्यौहार हमें यही सिखाता है कि हमें दुनिया की हर बुराई से बचना चाहिए। दीपावली एक खास त्यौहार है क्योंकि इसमें लोग मिलकर और खुशी से अपने घर को तेल के दीयों एवं तरह-तरह की लाइटें लगाकर सजाते हैं। इसके अलावा अपने घर में रंगोली भी बनाते हैं। इस पर्व में यह भी खास बात है कि सभी लोग मिलजुलकर पटाखे खरीदते हैं एवं उन्हें रात के समय में बच्चों के साथ मिलकर फोड़ते हैं जिसमें काफी आनंद आता है। लोग दीपावली के दिन पटाखे तो जलाते हैं लेकिन सभी को इस बात पर अमल करना चाहिए कि पटाखे सावधानीपूर्वक छोड़ें, ताकि किसी को कोई नुकसान ना हो। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी कार्य एवं व्यवहार से किसी को भी दुख न पहुंचे, तभी दीपावली का त्योहार मनाना सार्थक होगा। दीपावली का त्योहार सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में आज भी सामाजिक एकता बनी हुई है।

उपसंहार

हर त्योहार की अपनी खासियत होती है, ठीक इसी प्रकार रोशनी के इस पर्व दीपावली का महत्व भी बहुत अधिक है और को समृद्धि का सूचक माना जाता है। ज्यादातर घरों में इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है और देवी से धन-धान्य का वरदान मांगा जाता है। रोशनी से भरपूर इस त्योहार को अपने-अपने परिवार के साथ मनाया जाता है, जिसमें परिवार और रिश्तेदारों का समूह मिलकर इसे काफी धूमधाम से मनाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *