गुरु के बिना किसी भी मनुष्य का जीवन अधूरा है| हमारे जीवन में गुरु का बहुत महत्व है| प्राचीन काल में ऋषि-मुनी, राजा-महाराजा भी अपने गुरु को भगवान का दर्जा देते थे| गुरुओं के सम्मान में ही गुरु पुर्णिमा मनाया जाता है| गुरु पुर्णिमा हिंदू मास के आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा में मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रुप से हिंदू ,बौद्ध और जैन धर्म के लोग मनाते हैं। वर्षा ऋतु की शुरुआत में हम यह पर्व मनाते हैं| ऐसे सुहावने मौसम में गुरु और शिष्य एक साथ बैठकर ज्ञान प्राप्त करते हैं| इस समय शिष्यों को नए पाठ, नई दिशा-निर्देश दिए जाते है|
इस वर्ष 2021 में गुरु पूर्णिमा जुलाई महीने की 24 तारीख को शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन सभी अपने गुरुओं को सम्मान देते हैं जो हमारी जीवन में शिक्षा देकर अंधेरे को दूर करते हैं।

भारतीय आध्यात्म में गुरु पूर्णिमा
भारतीय अध्यात्म में गुरु पुर्णिमा का दिन अत्यंत शुभ और महत्व है| उस पर्व को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है| यह अपने गुरु के प्रति सम्मान प्रकट करने क त्योहार है| केवल गुरु ही ऐसे होते हैं जो अपने शिष्य की हर तरह की योग्यता,कला और क्षमताओं को भलि-भाँति पहचानते और उभारते हैं | गुरु के कृपा की कोई सीमा नहीं होती है| गुरु अपने शिष्य के असफलता पर भी उसे प्रोत्साहित कर उसे आगे बढ़ाने में पूरी मदद करते हैं| बच्चे ही किसी देश के भविष्य होते हैं और उन्हें सही मार्ग पर चलाना और सही बात सिखाने का काम भी शिक्षक या गुरु ही करते हैं |
आज ही के दिन महाभारत ग्रन्थ और चारों वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। इस महान गुरु के जन्मदिवस को याद करने के लिए यह पर्व मनाया जाता है।इस दिन को व्यास पुर्णिमा भी कहा जाता है| गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर ही संत कबीर के मुख्य शिष्य संत घासीदास जी का भी जन्म हुआ था| आज के शुभ दिन पर सभी अपने गुरु की पूजा करते हैं। यह पर्व पूरी श्रद्धा और निष्ठा से मनाया जाता है। प्राचीनकाल में गुरुकुल में शिक्षा लेने वाले शिष्य अपने गुरुओं को सम्मान देने के लिए आज ही के दिन पूरी निष्ठा से उनकी पुजा करते थे और यह प्रथा आज भी युवा पिढी को गुरुओं का सम्मान करना सिखाती है| गुरु पुर्णिमा मनाने के पीछे एक मान्यता ये भी है कि आज ही के दिन भगवान शंकर ने सप्तर्षियों को योग का मंत्र दिया था| इसी आषाढ पुर्णिमा के दिन बौद्ध धर्म के गुरु भगवान बुद्ध ने पहला उपदेश दिया था इसीलिए गुरु पुर्णिमा क दिन हम सभी के लिए बहुत महत्व रखता है|
हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का महत्व
हिन्दू धर्म में गुरु पुर्णिमा बड़े श्रद्धा-भाव के साथ मनाया जाता है और आज के दिन लोग भगवान ब्रह्मा,विष्णु और महेश के साथ साथ अपने इष्ट गुरुओं की भी पुजा- अराधना करते हैं और साथ ही कुछ गुरु दक्षिणा भी देते हैं | गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में कई जगह सत्संग, पूजा एवं प्रार्थना किए जाते हैं। यहां लोग इकट्ठे होकर कई प्रकार से अपने अपने विधियों द्वारा गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े प्रेम एवं श्रद्धा भाव से मनाते हैं। ‘गुरु’ के गु का अर्थ होता है अन्धेरा ओर रु का अर्थ होता है हटाने या मिटाने वाला- सरल शब्दों में गुरु का मतलब ही होता है अंधकार को दूर करने वाला अर्थात् जो हमारे जीवन से अज्ञान के अंधेरे को दूर कर उसे ज्ञान से प्रकाश्मय करते हैं ,हम उनकी पुजा कर उन्हें सम्मान देते हैं तथा उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं| सभी के प्रथम गुरु माता-पिता ही होते हैं तथा जीवन भर कोई न कोई किसी रुप में हमारे गुरु जरुर होते हैं | गुरु पुर्णिमा में लोग अपने गुरुओं को सबसे पहले प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद के रुप में उनके जीवन के अज्ञानता को दूर रखने कि कामना करते हैं | हर मनुष्य के हृदय में विष रुपी भावनाओं को खत्म करने का कार्य भी गुरु ही करते हैं | गुरु नारद की कृपा से ही महर्षि वाल्मिकी एक डाकू से महान ऋषि बन गए |
गुरु पूर्णिमा के पीछे की कहानियां
हर युग में गुरु की महानता के बारे में अनेक कहानियाँ प्रचलित हैं| हमारे देश में कई महान गुरुओं ने जन्म लिया है जिन्होंने अपने ज्ञान से अपने शिष्यों की ज़िन्दगी में बदलाव ले आए| यदि बात करें गुरु पूर्णिमा की कहानियों की तो गुरु पूर्णिमा को लेकर कई कहानियां चर्चित है। गुरु द्रौण जैसे महान गुरु ने अपनी शिक्षा धनुर्धारी अर्जुन को देकर पूरे संसार में अपनी शिक्षा और महानता को प्रसिद्ध किया| आचार्य चाणक्य ने अपने निती शास्त्र से अपने शिष्य मौर्य को भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ राजा बनाया और आने वाले समय को अपने शास्त्र का भरपूर ज्ञान भी दिया| महर्षि विश्वामित्र ने भी अपनी धनुर्विद्या ओर शास्त्र विधा का ज्ञान भगवान श्रीराम को देकर उन्हें ज्ञानी बनाया था| आचार्य चाणक्य, गुरु द्रौण, महर्षि विश्वामित्र जैसे कई महान गुरुओं ने अपने दिए हुए ज्ञान से न केवल अपने शिष्यों के जीवन में बल्कि औरों के जीवन के लिए भी एक मिशाल कायम की| गुरु द्रोण के इस किस्से के अलावा कई अन्य कहानियां गुरु पूर्णिमा मनाने से जुड़े हुए हैं।
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा प्रत्येक व्यक्ति के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है लेकिन यदि बात की जाए विद्या अर्जित करने वालों की तो उनके लिए गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यही कारण है कि पूरे विधि विधान से यदि वह गुरु पूर्णिमा करते हैं और श्रद्धा भाव से यह पर्व मनाते हैं तो उनके जीवन में कभी भी विद्या एवं समृद्धि का की कमी नहीं होती है। गुरु पूर्णिमा के दिन व्यक्ति को सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठना होता है , जिसके बाद उसे अपने प्रतिदिन की तरह ही स्नान आदि कर लेना चाहिए। इसके बाद पूजा की सभी सामग्री से गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे श्रद्धा भाव से मनाना चाहिए। पूजा करने के बाद सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद लेना चाहिए और उनसे अपने सुख समृद्धि एवं विद्या की कामना करनी चाहिए। इसके बाद अपने घर में बड़े बुजुर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। गुरु पूर्णिमा के दिन केवल सुबह ही नहीं बल्कि संध्या में भी अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा करनी चाहिए। आप चाहे तो ब्राह्मणों को दान दक्षिणा कर सकते हैं। इस प्रकार गुरु पूर्णिमा मनाने से घर परिवार में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं होती है और सदैव देवी देवताओं का वास रहता है।
गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में कबीर दास के विचार :
महान संत कबिरदास के एक दोहे के अनुसार यदि गुरु और ईश्वर एक ही जगह हो तो हमें सर्वप्रथम गुरु के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए क्योंकि गुरु ही हमें भगवान के बारे में बताते हैं| हर व्यक्ति के जीवन में एक गुरु तो जरुर होता है जो उसे आगे बढ़ने में मदद करते हैं| गुरु और शिष्य का रिश्ता सबसे उच्च और पवित्र माना जाता है|
ब्रह्मा के एक पुत्र ने विद्या को माता और गुरु को पिता का दर्जा दिया है क्योंकि माता-पिता हमें जन्म देते हैं और गुरु हमें ज्ञान देते हैं| ज्ञान के बिना कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में विकसित नहीं हो सकता है|
‘गुरुब्रह्मा गुरुविर्ष्णुः, गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः।।’
ऊपर के इस श्लोक में गुरु को ही सर्वश्रेष्ठ सबसे महान् माना गया है| गुरु को भगवान ब्रह्मा,भगवान विष्णु और भगवान शंकर का भी रुप कहा जाता है| इसलिए हमें हमेशा गुरु के चरणों में झुके रहना चाहिए |
आज के समय में कई स्कूल,कोलेजों में बच्चे चित्र, गायन्, नृत्य कर इस दिन को मनाते हैं और फूल,माला तथा तोहफे देकर गुरु के सम्मान व्यक्त करते हैं| यह दिवस मनाने के साथ-साथ गुरु और शिष्य का रिश्ता भी मजबूत होता है| गुरु पुर्णिमा के दिन कई लोग अपने गुरुओं को कई तरह के उपहार देने का भी प्रावधान है|
उपसंहार
आज के भागदौड़ व्यस्त भरे जीवन में न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि जीवन के हर छोटे से बड़े मुश्किल समय में हमें गुरु कि आवश्यकता होती है| आज के व्यस्त समय में कई ऐसे गुरु हैं जो हमारे तनाव को दूर कर शांति के मार्ग में ले जाने में मदद करते हैं| हर भटके हुए इंसान को सही मार्ग दिखाने का काम सिर्फ़ गुरु ही कर सकते हैं। गुरु के द्वारा दिया हुआ ज्ञान का मुल्य किसी भी रुप में कभी नहीं चुकाया जा सकता है| दुनिया को देखने का नजरिया भी गुरु ही समझाते हैं | गुरु कि महिमा का कोई अंत नहीं है इसलिए इसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता| एक पढ़े-लिखे और समझदार समाज में सबसे बड़ा योगदान गुरु का ही होता है| गुरु द्वारा दिया गया उपदेश इंसान की ज़िन्दगी बदल सकती है| गुरु अपने शिष्यों को इस तरह शिक्षित करते हैं कि वे अपने कार्यों से दूसरे के जीवन को भी बदल सकते हैं| गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर गुरु के प्रति श्रद्धा भाव एवं उनके आदर्शों को हमारे हृदय में पुनः जागृत करते हैं। गुरु पुर्णिमा के पावन पर्व में पूजा आदि कर घर के बड़ों का आशीर्वाद लेने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है और किसी प्रकार की कोई कमी अथवा बाधा नहीं आती। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का आशीर्वाद भी काफी फलदायक होता है। प्रत्येक वर्ष गुरु पूर्णिमा का यह दिन हमारे जीवन में सुख समृद्धि एवं प्रेम भाव का संचार करता है।
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