नशा मुक्ति दिवस 2022: International Day Against Drugs Abuse and Trafficking in Hindi

International Drugs Day in Hindi

International Day Against Drugs Abuse and Trafficking Day 2022 के थीम है-“न्याय के लिए स्वास्थ्य, स्वास्थ्य के लिए न्याय’ (हेल्थ फॉर जस्टिस एंड जस्टिस फॉर हेल्थ)“।

हर साल 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया जाता है। सन 1987 ईस्वी में ही अंतरराष्ट्रीय नशा दिवस की प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी। प्रत्येक वर्ष International Drugs Day के अंतर्गत ड्रग दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाकर अपने स्वास्थ्य के प्रति भी लोगों को जागरूक करना है। इस दिवस के मनाने के पीछे मुख्य कारण था नशा और इससे होने वाली कुप्रभाव के प्रति जागरूक करना। प्राचीन काल में भी नशे का सेवन अधिक मात्रा में प्रचलित थी परंतु इसका उद्देश्य समाज को दूषित करना कतई नहीं था। नशा को प्राचीन काल में सोमरस के नाम से जाना जाता था। वर्तमान समय में नशा की परिभाषा बिल्कुल बदल दी गई है।

International Drugs Day in Hindi

लोग विभिन्न प्रकार के नशा से परिचित हो चुके हैं। आज के समय में मादक पदार्थ काफी मात्रा में बिक रहे है। स्कूल कॉलेजों में ड्रग्स, नशीली गोलियां चोरी छुपे बिकते हैं। इन प्रमुख नशीले पदार्थ में कोकीन (चरस), हेरोइन, अफीम, गांजा, शराब, व्हिस्की, रम , बीयर, भांग आदि शामिल हैं।

इन मादक पदार्थों से बच्चे भी काफी आकर्षित हो रहे हैं। इससे आने वाली पीढ़ी पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। ये पदार्थ कुछ समय के लिए राहत देते हैं जिससे व्यक्ति को सुखद अनुभूति मिलती है। जैसे ही नशा का असर खत्म होने लगता है, व्यक्ति पुनः उस नशे की तरफ भागने या आकर्षित होने लगता है। कुछ ही दिनों में उसे उस नशे की बड़ी लत लग जाती है। जिस मादक पदार्थों का वह पहले सेवन कर रहा होता है उसके ना मिलने पर बेचैनी सी छा जाती है। खासकर यह नशे की लत अमीर घरानों के बच्चों पर काफी बुरा असर डालता है क्योंकि नशीले पदार्थ महंगे क्यूं न हो, अमीर घराने के बच्चे आसानी से खरीद लेते हैं और नशे की चपेट में आ जाते हैं। कुछ बच्चे अपनी पॉकेट मनी बचाकर रखते हैं और इन मादक पदार्थों में बेहिसाब खर्च करते हैं।

भारत में ड्रग्स

आंकड़ों के मुताबिक पाया गया है कि भारत में सबसे नशीला क्षेत्र पंजाब है, जहां प्रचुर मात्रा में विभिन्न प्रकार के नशीले पदार्थ या मादक पदार्थ पाए जाते हैं। अफीम, गांजा, चरस इत्यादि के लिए पंजाब काफी मशहूर है। इसके साथ-साथ मुंबई, दिल्ली, चेन्नई आदि में भी नशीले पदार्थ अधिक मात्रा में मिलते हैं।

ड्रग्स का प्रयोग

ड्रग्स केवल नशीले पदार्थों के रुप में ही नहीं जाने जाते बल्कि इसका प्रयोग दवाइयों में भी किया जाता है। यह कई बड़ी एवं भयंकर बिमारियों से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। डॉक्टर द्वारा लिखी गई प्रमुख दवाइयां जैसे नींद की गोलियों में वॉल्यूम 10mg टेबलेट, नाइट्रोसन 10mg जो तनाव, और चिंता इत्यादि को कम करता है, उसने भी ड्रग्स का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा कफ सिरप कोरेक्स के सेवन में भी ड्रग्स की मात्रा मिली हुई होती है। तंबाकू वाले पदार्थ जैसे बीड़ी, सिगरेट, गुटका, खैनी, पान मसाला, जर्दा आदि ड्रग्स की श्रेणी में आते हैं। इतना ही नहीं इसके अलावा वाष्पशील विलायक जैसे – नेल पॉलिश रिमूवर, पेट्रोल ,पेंट आदि में ड्रग्स की मात्रा पाई जाती है।

मादक पदार्थों के सेवन का कारण

प्राचीन काल की तुलना में आज के समय में युवा और अधेड़ दोनों वर्गों के लोग अधिक मात्रा में मादक पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। इनके सेवन से कुछ पल के लिए उनके शरीर में ताकत, मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ जाती है लेकिन यह उनके शरीर पर बुरा प्रभाव डालते हैं। बढ़ती हुई महंगाई की समस्या को देखते हुए माता-पिता अपने बच्चों की उज्जवल भविष्य के लिए जॉब करते हैं ताकि उन्हें कोई तकलीफ न हो, अच्छे संस्कार मिले, अच्छी शिक्षा मिले, उनके लिए वे कड़ी मेहनत करते हैं। जब उन्हें पॉकेट मनी दी जाती है और वह उस पॉकेट मनी को अच्छे कामों में न लगाकर बुरी आदतों की ओर बढ़ जाते हैं और वहां पैसे खर्च करते हैं। उन्हें तरह-तरह के ड्रग्स यानी कि नशीले पदार्थों की लत लग जाती है और बुरी तरह से नशाखोरी के चपेट में आ जाता है। कुछ लोग अपने दुख दर्द और जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए नशा करते हैं। कुछ लोग बोरियत, अनिद्रा , गुस्से से बचने के लिए मादक पदार्थों का सेवन करते हैं।

मादक पदार्थों के सेवन के दुष्परिणाम

ड्रक्स यानी कि मादक पदार्थों का सेवन मनुष्य के शरीर के साथ-साथ उसकी मानसिकता को भी पूरी तरह से नष्ट कर देता है। जिस व्यक्ति को एक बार ड्रग्स की लत लग जाए, वह उसे छोड़ नहीं पाता है और उसे नशीले पदार्थ बार-बार लेने की इच्छा होने लगती है। ये नशीले पदार्थ न मिलने पर उन्हें बदन दर्द, भूख न लगना, चिड़चिड़ापन, गुस्सा आना, भारीपन, अनियंत्रित रक्तचाप इत्यादि का लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इनका अधिक से अधिक सेवन करने से मस्तिष्क, यकृत, ह्रदय, गुर्दों आदि पर काफी प्रभाव पड़ता है।

इन सब परिस्थिति को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 7 दिसंबर 1987 में एक प्रस्ताव पेश किया था जिसमें समाज को नशा मुक्त करने की बात कही थी। इसे सभी देशों की सर्वसम्मति से पास किया गया। सभी देशों ने पूरी तरह से समर्थन किया था। इस प्रकार हर 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस का महत्व

International Drugs Day का मुख्य उद्देश्य है हमारे समाज के हर वर्ग के लोग जो नशा से पीड़ित हैं अथवा उनके चपेट में आ गए हैं, उन्हें नशा से मुक्ति दिलाना। इसके अलावा सरकार का यह भी उद्देश्य है कि साथ ही साथ नशा तस्करी पर भी लगाम लगाया जा सके, ताकि बच्चों का भविष्य अंधकारमय होने की जगह उज्जवल और स्वर्णिम दिशा की ओर अग्रसर हो। सभी देशों ने मिलकर नशा या ड्रग्स से निवारण के प्रति जागरूक अभियान चलाया है।

भारत में ड्रग्स के लिए कानून

भारत देश में भी नशा के प्रति कई प्रकार के कानून बनाए गए हैं। भारत में नारकोटिक ड्रग एवं सायकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम 1985 भी बनाए गए हैं। इस अधिनियम के बाद 2014 में इसी से संबंधित संशोधन बिल लाया गया। 2014 में लाए गए अधिनियम के आधार पर 2015 में नया कानून बनाया गया। इसके अलावा नशीले पदार्थों के सेवन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर 1998 में राष्ट्रीय मादक द्रव्य निवारण संस्थान (एनसीडीएपी) की स्थापना भी की गई। इसके बाद मादक द्रव्य ब्यूरो को भी महत्व दिया गया। भारत सरकार द्वारा बनाए गए इस यूनिट को जो काम सौंपा गया, उसका प्रमुख उद्देश्य मादक द्रव्यों की मांग में कमी लाना था। इसके बाद इसे यह आदेश दिया गया कि देश के सभी क्षेत्रों में इसे विस्तृत कर दिया जाए। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस विषय को लेकर 3 सम्मेलन बुलाए गए थे जिसमें नारकोटिक्स ड्रग सम्मेलन 1961, साइकोट्रॉपिक्स पदार्थ 1971 के सम्मेलन तथा नारकोटिक्स ड्रग्स एवं सायकोट्रॉपिक्स पदार्थ 1988 शामिल थे। भारत ने भी इस सम्मेलन में हस्ताक्षर किया और वचनबद्धता दोहराई है।

भारत सरकार ने इस बात के लिए भी कड़े कानून बनाए हैं जिसमें ड्रक्स अथवा ऐसे नशीले पदार्थों का आदान-प्रदान, आयात निर्यात, इसका सेवन करना एवं कारोबार आदि को विस्तृत करना शामिल है। भारत सरकार के दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार जो भी व्यक्ति अथवा संगठन यह अपराध करते हुए पकड़ा जाता है उसे ट्रायल विशेष न्यायालयों में ले जाया जाता है। दरअसल यह न्यायालय ऐसे होते हैं जहां 3 साल से कम के कारावास नहीं होते हैं। इसके बाद अपराधियों को मजिस्ट्रेट के सामने ले जाया जाता है। इसके बाद उन्हें 15 दिन की कस्टडी में भी भेज दिया जाता है। फिर इस मामले में कड़ी कार्यवाही होती है और सजा दी जाती है।

ड्रग्स की लत से निवारण

भारत में सरकार द्वारा नशा मुक्ति केंद्र बनवाया गया है, जहां देश के नवयुवक जो नशे से पीड़ित हैं उनका सही इलाज उस नशा मुक्ति केंद्र में किया जाए ताकि उन्हे नशा से मुक्ति मिल सके। इनमें अधिक मात्रा में विद्यार्थी गण शामिल हैं, जो नशा से काफी ग्रसित हैं। डॉक्टरों के बीच नशा मुक्त करवाने के इलाज होते हैं। नशा से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति योग शक्ति का भी प्रयोग कर सकते हैं ताकि वह नशा से छुटकारा पा सकें। मनोवैज्ञानिक डॉक्टरों के द्वारा जो नशे से पीड़ित हैं उन्हें भी नशे से मुक्ति दिलाया जा सकता है।

अगर आज युवा नशे से पीड़ित हैं और अगर वह मन में ठान लें तो इस नशे से मुक्ति पा सकते हैं। इसके लिए उनके मन में इच्छा शक्ति अपार होनी चाहिए। यदि वह अपने रिश्तेदारों और हितशियो के बीच में रहते हैं तो ऐसे में उन्हें तनिक भी समय नहीं मिल पाता है ताकि वह नशा कर सके। जो नशे से ग्रसित रोगी हैं उन्हें एक डायरी लिखनी चाहिए और वह उस डायरी में प्रतिदिन की घटनाओं को लिखें। नशा करने के बाद उनकी अंदर से जो बातें निकलते हैं और जो जो हरकतें वे करते हैं, उन सभी बातों को वह उस डायरी पर लिखते हैं, तो ऐसे में वह जल्द ही नशा से छुटकारा पा सकते हैं।

नशा से मुक्ति के बाद जब वह होश में आते हैं तब उस डायरी में उन बातों को देखते हैं और अपने आप को कोसते हैं कि मेरी जिंदगी किस दिशा की ओर बढ़ रही है। यह डायरी नशाखोरों को नशा से बचाने का सही तरीका है। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र ने कड़ा रुख अपनाया और 26 जून को पूरे विश्व में नशा निषेध दिवस मनाया जाता है।

उपसंहार(नशा मुक्ति दिवस 2022)

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा International Drugs Day मनाया जाना नशीले पदार्थों की मुक्ति के निवारण में बेहद सहायक सिद्ध होता है। इसके अंतर्गत लोगों के अंदर जागरूकता बढ़ती है जिससे नशीले पदार्थों के सेवन पर भी रोक लगते हैं। इस दिवस को मनाने से लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए हैं एवं नशीले पदार्थों अथवा ड्रग्स के सेवन से काफी दूरी भी बनाई है। ड्रग्स से दूरी के फलस्वरुप देश के उज्जवल भविष्य यानी कि युवाओं के अंदर देश के प्रति कुछ करने की उम्मीद जाग जाती है और वह नशा से मुक्त हो जाते हैं तथा उनसे दूरी बना लेते हैं।

यह भी पड़े-