क्रिया किसी भी भाषा के मूल होते है। क्रिया के बिना कोई भी वाक्य सम्पूर्ण नही होता यानी वाक्य के अर्थ प्रकट नही होता। साथ ही साथ क्रिया हिंदी व्याकरण का भी एक महत्वपूर्ण विषय है। तो आज इस लेख में आप पढ़ने वाले है क्रिया के बारे में। क्रिया किसे कहते है, क्रिया के कितने भेद है उदाहरण सहित नीचे सरल तरीके से बताया गया है।

क्रिया के परिभाषा
क्रिया अर्थात करना या होना। वाक्य में जिस शब्द से कुछ करना या होना सूचित होता है, उसे क्रिया कहते है। जैसे- राम गया । यहाँ “गया” क्रिया है।
वैसे ही- सुरेश बृह्मपुत्र में स्नान कर रहा है।
ऊपर के वाक्य में यदि हम स्नान कर रहा है को छोड़ दे तो अर्थ पाप्त नही होगा। ‘सुरेश बृह्मपुत्र’ कहने से सुनने वाला अनेक अर्थ निकलेगा।
- सुरेश बृह्मपुत्र में – मर रहा था।
- सुरेश बृह्मपुत्र में – कूद रहा था।
- सुरेश बृह्मपुत्र में – डूब रहा था।
उपरोक्त वाक्य में मर रहा था, कूद रहा था, डूब रहा था यह सभी क्रिया है और क्रिया के बिना वाक्य असम्पूर्ण है।
अतः वाक्य का एक निश्चित अर्थ पाप्त करने के लिए क्रिया का होना आवश्यक है। हिंदी में क्रिया वाक्य के अंत मे आते है। जैसे-
कर्ता | कर्म | क्रिया |
राम | फल | खा रहा है |
नीलू | किताब | पढ़ रहा है |
सलीम | खाना | पका रहा है |
क्रिया एक विकारी शब्द(पद) है क्योंकि लिंग, काल के अनुसार इसमे परिवर्तन होता है। जैसे-
- राम जा रहा है।
- राम और रहीम जा रहे है।
- हम कानपुर जा रहे हैं।
इसी प्रकार लिंग और काल के अनुसार भी क्रिया परिवर्तन होता है।
क्रिया के भेद – Kriya k Kitne bhed hote hai?
हिंदी भाषा में क्रियाओं के मुख्य पाँच भेद होते है। जैसे-
- सकर्मक क्रिया
- अकर्मक क्रिया
- प्रेरणार्थक क्रिया
- नामधातु-प्रधान क्रिया
- संयुक्त क्रिया
वर्गीकरण में प्रथम दो का संबंध कर्म से है। ये क्रियाएं कर्म या कर्ता से अपना संबंध रखती है और रूप भी बदलाती है।
अंतिम तीन भेद व्युत्पत्ति में आधार पर किये गए है। इनमे से प्रत्यक क्रिया-वर्ग मूल धातु से संबंध रखते हुए अन्य शब्द या प्रत्ययों से मिलकर बनता है और विशेष अर्थ देता है।
1.सकर्मक क्रिया
सकर्मक का अर्थ है कर्म के साथ
- रीता भात खा रही है ।
ऊपर के वाक्य में “रीता” खाने का काम कर रही है। इसीलिए “रीता” कर्ता पद है और “खा रही है “क्रिया पद है। “भात” कर्ता की क्रिया का आधार है, अतः कर्म है।
कर्म का अर्थ है कर्ता के काम या क्रिया का आधार। इसकी विभक्ति ‘को’ है- जो प्राणीवाचक कर्म के साथ प्रायः लगती है और अप्राणिवाचक कर्म पद के साथ प्रायः नहीं लगती है।
- दिनेश कुत्ते को मारता है।
- मोहम्मद लकड़ी काटता है।
परिभाषा:”जिस क्रिया के व्यापार का फल कर्म पर पड़े उसे सकर्मक क्रिया कहते है।”
सकर्मक क्रिया के प्रकार:
अ)एक कर्म वाली क्रियाएँ: जिनका एक ही कर्म हो। जैसे-
- हम कटहल खाते है।
- सीता चाय बनाती है।
आ) द्विकर्मक क्रियाएँ: जिसके साथ अर्थ प्रकट के लिए दो कर्म आते है। जैसे-
- गुरुजी हमको हिंदी पढ़ाते है।
- माताजी सुरेश को फल देती है।
इ) सजातीय क्रियाएँ: कोई अकर्मक क्रिया भी यदि अपनी धातु से बने हुए कर्म के साथ आती है तो सकर्मक हो जाती है। और उसे सजातीय क्रिया कहते है। जैसे-
- वह गाना गाता है।
2.अकर्मक क्रिया
अकर्मक का अर्थ है “कर्म से रहित”।
- उमेश रोता है ।
- दिनेश नाहता है।
- सीता बोलती है।
ऊपर के वाक्य में रोता, नाहता, बोलती क्रियाएँ क्रमशः उमेश, धीरेन और सीता के अनुसार है। ये तीनो कर्ता पद है। इन क्रियाओं का कोई कर्म नही है। ये अकर्मक क्रियाएँ है।
अकर्मक क्रिया के प्रकार
1.पूर्ण अकर्मक क्रिया: इन क्रियाओं से पूरे अर्थ की पाप्त हो जाती है। जैसे- सीता सोती है।
2.अपूर्ण अकर्मक क्रिया: इन क्रियायों से पूरे अर्थ की पाप्त नही होती है। इसीलिए अकर्मक क्रिया से पहले विशेषण या संज्ञा पद को जोड़ना पड़ता है। जैसे-
- पिताजी हो गए है। (अपूर्ण अर्थ)
- पिताजी बीमार हो गए है।(पूर्ण अर्थ)
व्युत्पत्ति के आधार पर हिंदी धातुओं में प्रमुख दो भेद होते है- मूल और यौगिक।
- मूल धातु: जो धातु किसी दूसरे शब्द के योग से नही बनती है, उसे मूल धातु कहते है। जैसे- हो,जा, पढ़, लिख,हँस, उठ, बोल।
- यौगिक धातु: जो धातु किसी दूसरे शब्द के योग से बने, उसे यौगिक धातु कहते है। जैसे- हो + जाना = हो जाना, पढ़ + लेना = पढ़ लेना
यौगिक धातु के प्रकार
यौगिक धातु तीन प्रकार के होते है-
- प्रेरणार्थक
- नामधातु
- सयुंक्त धातु
1.प्रेरणार्थक क्रिया
वाक्य में प्रेरणार्थक क्रिया का प्रयोग तब होता है, जब वाक्य का कर्ता स्वयं काम न करे अपितु किसी अन्य से उस काम को करवाये। कर्ता भी सक्रिय रहता है, किन्तु वह स्वयं उस काम को अपने हाथ से नही करता है। जैसे-
- रेखा सविता से चिट्ठी लिखवाती है।
- राम मुझसे श्याम को पिटवाना चाहते है।
ऊपर के वाक्य में रेखा और राम कर्ता है, किन्तु लिखने और पीटने का काम क्रमशः ‘सविता और मुझसे होता है’।
इसी प्रकार-
- कर + वाना = करवाना
- मर + वाना = मरवाना
- बोल + वाना = बोलवाना
- दौड़ + वाना = दौड़वाना
- लड़ + वाना = लड़वाना – आदि प्रेरणार्थक क्रियाएँ है।
परिभाषा: “जब कर्ता किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु को प्रेरणा देकर कोई कार्य करवाता है, तब उस क्रिया को प्रेरणार्थक क्रिया कहते है।”
2.नामधातु क्रिया
नामधातु क्रिया भी यौगिक धातु का ही एक भेद है। इनमें क्रिया संज्ञा विशेषण के साथ जुड़ी हुयी होती है।
- राम ने सलीम का दिल दुखाया।
- चीन ने भारत की जमीन हथिया ली।
नाम धातु नामधातु क्रिया
हाथ + आ = हथिया(हथियाना)
दुख + आ = दुखा(दुखाना)
चिकना + ना = चिकनाना
ऊपर के वाक्य में ‘ हाथ, दुख ‘ , संज्ञा और ‘चिकना’ विशेषण है। इन्हें ‘नाम’ कहा जाता है। इनमे ‘आ’ + ‘ना’ जोड़कर नामधातु क्रियाएँ बनाई गई है।
परिभाषा : संज्ञा या विशेषण शब्दों के आगे ‘आ’ या ‘ ना’ जोड़कर जो क्रिया बनते है, उसे नामधातु क्रिया कहते है।
3. संयुक्त क्रियाएँ
संयुक्त क्रिया का अर्थ है – कोई क्रियाओं का मिला हुआ रूप। किसी मुख्य क्रिया को शक्तिशाली बनाने के लिए कुछ
सहायक क्रियाओं का सहारा लिया जाता है। ऐसी क्रियाओं में मुख्य क्रिया के अनुसार ही अर्थ निश्चित होता है।
- ब्रह्मपुत्र में बाढ़ आ गई।
- क्या, तुम कामाख्या पहाड़ पर चढ़ सकते हो?
- इस समय तांबूल तो खाया ही जा सकता है।
ऊपर के वाक्यों में – आ गई, चढ़ सकते हो, खाया जा सकता है, क्रियापद हैं- इनमें आ, चढ़, खाया मुख्य क्रियाएँ हैं और
गई, सकते हो, जा सकता है -ये सहायक क्रियाएँ हैं। इसी प्रकार – आया करता है, आया-जाया करता है, रो रहा है, रोया नहीं जा रहा
है आदि भी संयुक्त क्रियाएँ हैं।
परिभाषा: ‘दो या दो से अधिक क्रियाओं के योग से बनी क्रिया को संयुक्त क्रिया कहते हैं।”
सवाल जबाब
क्रिया किसे कहते हैं?
वाक्य में जिस शब्द से कुछ करना या होना सूचित होता है, उसे क्रिया कहते है।
क्रिया के कितने भेद हिते है?
क्रिया के पांच भेद होते है।
सकर्मक क्रिया के कितने भेद हैं?
सकर्मक क्रिया के तिन भेद हैं।
अकर्मक क्रिया के कितने भेद हैं?
सकर्मक क्रिया के दो भेद हैं।
कर्म के आधार पर क्रिया के कितने भेद होते हैं
कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं- सकर्मक और अकर्मक।
निष्कर्ष
तो दोस्तों ऊपर हमने क्रिया के परिभाषा, क्रिया के भेद उदाहरन सहित बताया हूँ। मुझे आशा है कि ये जानकारी आपके काम के होंगे। पोस्ट को यहाँ तक पड़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।