क्या आप जानना चाहते हो तो प्रत्यय किसे कहते है? प्रत्यय के कितने भेद होते है? अगर हाँ तो आज आप बिल्कुल सही जगह पर आये हो | इस पोस्ट पर हम उदाहरन सही प्रत्यय विषय को पड़ेंगे |

प्रत्यय किसे कहते है? परिभाषा
मूल शब्द या धातु के साथ जो शब्द-खंड लगते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं। इन वाक्यों को यदि मूल शब्द से अलग कर लें तो कोई अर्थ नहीं होता। जैसे-
तुमने पत्र लिखकर कँहा भेजा?
ऊपर के वाक्य में – ने, कर, आ (भेज +आ) प्रत्यय है।
प्रत्यय के प्रकार
मूल शब्दों में प्रत्यय हमेशा माध्य या अंत में ही लगता है। कुछ प्रत्यय अविकारी होते है तो कुछ विकारी होते है। अतः प्रत्यय का वर्ग कुछ इस प्रकार का होता है-
1.शब्दों के आधार पर प्रत्यय का प्रकार:
अ) संज्ञा सर्वनाम में लगने वाले प्रत्यय–
राम ने मोहन को धीरे से बुलाया।
तुमने मुझको क्यों मारा?
ने, को, से प्रत्यय है। इन्हें विभक्ति भी कहा जाता है। ये परिवर्तनशील है। इसी प्रकार में, पर, के लिए आदि भी प्रत्यय है।
उसका भाई तुम्हारा नाम जानता है।
आपका घर ही मेरा घर है।
का, के , का, रा, रे, री, ना, ने, संबंधवाचक प्रत्यय है, जो संज्ञा सर्वनाम को मूल कारक की संज्ञा के साथ जोड़ते है।
आ) संज्ञा-सर्वनाम-विशेषण- क्रिया में लगने वाले प्रत्यय–
हम आज अच्छे आदमियों से मिलेंगे।
वे पहाड़ियों पर जा रहे है।
ऊपर के वाक्य में अच्छे, आदमियों, मिलेंगे , पहाड़ियों , रहे है – क्रमशः ए, एँगे, यों , रहे प्रत्यय है। इनका रूप वचन, लिंग, काल आदि के प्रभाव से बदलता जाता है।
2. प्रयोग के आधार पर प्रत्यय
भाषा मे सभी शब्दों के साथ प्रत्यय आते है। शब्द- निर्माण में प्रत्यय का विशेष महत्व है। प्रयोग के आधार पर प्रत्ययों को हम दो भागों में रख सकते है। 1. कृत प्रत्यय और 2. तद्धित प्रत्यय
कृत प्रत्यय:
क्रियाओं के साथ प्रयुक्त होने वाले प्रत्यय कृत प्रत्यय कहलाते है। जैसे-
पढ़ + ना = पढ़ना
पढ़ + आ = पढ़ा
पढ़ + ई = पढ़ी
पढ़ + ओ = पढ़ो
पढ़ + एँ = पढ़े
पढ़ + ता = पढ़ता
तद्धित प्रत्यय :
संज्ञा या अन्य शब्दों के साथ प्रयुक्त परिवर्तनशील प्रत्यय तद्धित प्रत्यय कहलाते है। जैसे –
पहाड़ + ओ = पहाड़ों
पहाड़ + इयाँ = पहाड़ियाँ
पहाड़ + ई = पहाड़ी
इ) संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयुक्त अपरिवर्तनशील प्रत्यय विभक्ति कहलाते है। ये कारक चिन्ह माने गए है।
शब्द प्रत्यय –
उस + ने = उसने
उस + को = उसको
उस + में = उसमें
उस + से = उससे
उस + पर = उसपर
ई) संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयुक्त परिवर्तनशील और केवल कर्ता से संबंध बताने वाला प्रत्यय संबंध प्रत्यय कहलाते है। इसे संबंध विभक्ति भी माना जाता है।
संबंध प्रत्यय–
संबंधवाचक प्रत्यय विशेष रूप के साथ लग कर मुख्य संज्ञा या कर्ता के साथ संबंध जोड़ता है। यह परिवर्तनशील भी है।
शब्द प्रत्यय संबंधवाचक शब्द मुख्य शब्द
हम + रा = हमारा – घर
उस + का = उसका – घर
आप + ना = अपना – घर
परिभाषा:
- यदि कारक चिन्ह का क्रिया से सीधा संबंध हो तो वह संबंध विभक्ति कहते है।
- जब संबंधी के बारे में विशेष कहना हो तो संबंधवाचक के साथ जो प्रत्यय लगता है, उसे संबंध कहते है।
संबंध प्रत्यय का प्रयोग-
संबंध प्रत्यय का हिंदी भाषा मे व्यापक रूप प्रोयोग होते है। लिंग वचन के आधार पर इसका परिवर्तन होता है। इसका मुख्य कार्य संबंध जोड़ना है, लेकिन केवल मूल संज्ञा या कर्ता के साथ।जैसे –
मेरे भाई का लड़का आ रहा है।
उनके घर के सामने मेरी बहन की लड़की रहती है।
ऊपर के वाक्य में मेरे का संबंध भाई से, भाई का संबंध लड़के से जोड़ने वाले प्रत्यय क्रमशः ‘रे’ और ‘का’ है। इसी प्रकार दूसरे वाक्य में के- के, री-की प्रत्यय भी क्रमशः उन + घर, घर + सामने, में + बहन , बहन + लड़की को आपसी संबंध जोड़ रहे है।
मूल संबंध प्रत्यय तीन है-
का = उसका- राम का = “का” का प्रयोग सर्वनाम के तृतीय पुरुष और संज्ञायो क साथ होता है।
रा = मेरा – हमारा -तेरा तुम्हारा = “रा” का प्रोयोग सर्वनाम के प्रथम और दूसरे पुरुष में होता है।
ना =अपना = “आ” का प्रोयोग सर्वनाम के प्रथम और दूसरे पुरुष में होता है।
का – रा – ना लिंग वचन के अनुसार क्रमशः के = की, रा = रे, ने = नी हो जाते है। जैसे-
उमेश का भाई मेरा भाई अपना भाई
अपनी बहन उमेश की बहन मेरी बहन
उमेश के रुपये अपने रुपये मेरे रुपये
संबंध प्रत्यय के विभिन्न प्रयोग-
1. अभेदवाचक शब्दों में-(का)
क्रिकेट का खेल
फुटबॉल का खेल
सरसों का तेल
2.अंग-अंगी भाव में – (का)
बच्चे की आँख
सिर के बाल
सौ पृष्ठों की कविता
3. जन्य-जनक भाव में – (क)
मेरी माँ
मेरे पिता
मंत्री का बेटा
4. कर्ता कर्म भाव में – (का)
शंकरदेव का कीर्तन घोषा
कहानी का लेखक
5. सेव्य- सेवक भाव मे -(का)
मालिक का नौकर मेरी नौकरानी
6.गुण – गुणी भाव मे -(का)
चीनी की मिठास नींबू की खटास
7. नाते – रिस्ते में
मेरी भाई पत्नी का भाई
8. मोल वस्तु में – (का)
चार रुपये में आम कपड़े का दाम
9. परिमाण वाचक में – (का)
पाँच मीटर की साड़ी चार हाथ का पट्टा
10. काल – वयस में – (का)
चार वर्ष का लड़का
एक दिन की बात
11. देशांतर और रूपांतर में – (का)
रंक का राजा तिल का ताड़ कुछ का कुछ होना
12. विभिन्न कारको के साथ-
कर्ता – मेरे जाने पर
कर्म – गाँव की फुट
करण – चक्की का पिसा
अपादान – जेल का भाग
अधिकरण – पहाड़ की चढ़ाई
तो दोस्तों मुझे उम्मीद है प्रत्यय किसे कहते है प्रत्यय के कितने भेद होते है आप समझ पाए होंगे. अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया तो जरुर आपने दोस्तों के साथ शेयर करे.
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