क्या आप भी ये बात जानना चाहते हैं किरक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?अगर हां तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए आपको रक्षाबंधन से संबंधित पूरी जानकारी पता चल जाएगी और ये भी पता चलेगा कीरक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?इसका क्या महत्व है सब कुछ हमने आपके लिए इस आर्टिकल में लिखा है।
दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में एक ऐसे पर्व के बारे में बात करने जा रहे हैं जो ना केवल भाई-बहन के प्रेम को दर्शाता है पर साथ ही भाई-बहन के रिश्ते में मजबूती और दो परिवारों के बीच जोड़ रखने का बहुत ही अच्छा माध्यम हैं।
जी हां हम रक्षाबंधन के बारे में बात कर रहे हैं जो श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और इस साल यह पर्व 22 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा।
यह त्यौहार हिंदू धर्म और जैन धर्म में मनाया जाता है इस दिन बहनें अपने भाई के मस्तिष्क पर ही कॉल लगाती है और उसकी कलाई पर राखी बांधी है और फिर दोनों एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं इसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
यदि कोई भाई-बहन किसी कारण वर्ष इस पर्व के समय एक साथ नहीं होते हैं, तब वह एक दूसरे को कुरियर के द्वारा राखी व उपहार और साथ में एक पत्र भेजकर एक दूसरे के प्रति प्रेम को दर्शाते हैं।
परंतु इस त्यौहार की शुरुआत किसने और कहां से की और इसे मनाने का क्या माध्यम है, यह जानना भी काफी ज्यादा आवश्यक है।
रक्षा बंधन से काफी पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है परंतु तीन मुख्य कथाएं से है, जिन्हें आज हम काफी गहराई में जानने की कोशिश करेंगे।
(रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है) प्रथम कथा

यह कथा दैत्यों के राजा, राजा बलि से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि एक बार राजा बलि ने 110 यज्ञ पूर्ण कर लिए थे और जिसके कारण इंद्रदेव और बाकी के देवताओं में काफी डर का माहौल छा गया था देवताओं का मानना था कि इस यज्ञ के कारण देते राक्षसों के राजा, राजा बलि स्वर्ग पर अपना कब्जा कर लेंगे।
तब सभी देवताओं ने एकजुट होकर निर्णय लिया कि वह विष्णुदेव से मिलेंगे। बिना देर किए सारे देवता विष्णु देव के सामने एकत्रित हो गए और उन्हें सारी बात बता दी ।
तभी भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेने का निर्णय लिया और वामन अवतार के रूप में राजा बाली के महल के सामने जा पहुंचे| भगवान ने वामन अवतार के रूप में राजा बलि से भिक्षा मांगी।
राजा बलि ने भीख्षा के रूप में तीन पग भूमि देने का निश्चय किया, तब वामन अवतार रूप में विष्णु भगवान ने राजा बलि से पहले पग में स्वर्ग, दूसरे पग में पृथ्वी को मांगा परंतु तीसरे पक की बारी आई तब राजा बलि काफी परेशान हो गए और उन्होंने अपना सिर आगे करते हुए कहा कि आप यहां पर अपना तीसरा पग रख सकते हैं।
यह बात कहने के बाद राजा बलि से स्वर्ग और पृथ्वी लोक में निवास करने का अधिकार छीन लिया गया और राजा बलि रसातल में चले गए|( पृथ्वी के नीचे 7 लोगों में से छठा लोक जहां पर दैत्य असुर आदि निवास करते हैं)
वहां पर राजा बलि ने काफी कड़ी तपस्या करके भगवान विष्णु से सदैव अपने सामने रहने का वरदान मांग लिया और भगवान विष्णु को अपना द्वारपाल बना लिया।
यह बात जानने के बाद देवी लक्ष्मी दुविधा में आ गई और वह विष्णु देव को रसातल से वापस लाना चाहती थी। तभी वहां नारद जी आ गए और लक्ष्मी जी ने उनसे इस संदर्भ में वार्तालाप की और उन्होंने इस समस्या का समाधान निकाल लिया।
लक्ष्मी जी सीधा राजा बलि के पास जहां पहुंची और उन्हें राखी बांध कर अपना भाई बना लिया फिर लक्ष्मी जी ने उपहार के रूप में अपने पति विष्णु भगवान जी को वापस मांग लिया।
वह दिन श्रावण मास की पूर्णिमा कथा सबसे रक्षाबंधन इसी दिन को मनाया जाता है।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? (द्वितीय कथा)
इस कथा का उल्लेख भविष्य के पुराणों में किया गया है।
इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में 12 वर्षों तक देव और असुरों के मध्य काफी भारी युद्ध हुआ था। इस संग्राम में देवताओं की हार हो रही थी और इस बात से परेशान होकर देवताओं के राजा, राजा इंद्र देव गुरु बृहस्पति के पास पहुंच गए। इंद्र देव की पत्नी शचि भी थी।
इंद्रदेव को दुखी देखकर इंद्राणी ने कहा स्वामी कल ब्राह्मण शुक्ल पूर्णिमा है। मैं विधि विधान के साथ आपके लिए एक रक्षा स्तोत्र प्यार करूंगी और आप उसे सवसती वाचन ब्राह्मणों से तैयार करवा लीजिएगा। और कहा कि आप की विजय निश्चय ही होएगी।
अगले ही दिन राजा इंद्र देव जी के कहे अनुसार वह रक्षा कवच सवसती वाचन पूर्वक गुरु बृहस्पति से बनवा आए। इस प्रकार एक रक्षा कवच के द्वारा इंद्र देव और सभी देवताओं की रक्षा हुई।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? (तृतीय कथा)
यह कथा महाभारत के काल से जुड़ी हुई है। जब पूरी सभा के सामने श्री कृष्ण ने अपने चक्र से शिशुपाल का वध किया था, तब चक्र के वापस आने पर श्री कृष्ण की उंगली कट गई थी। तभी पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा चीर कर उनकी उंगली पर बांध दिया था।
यह देख कर श्री कृष्ण भगवान ने भाई के रूप में वचन दिया था कि वह 1 दिन इस साड़ी के कपड़े कारण जरुर चुकाएंगे।
कुछ समय बाद कौरवों और पांडवों के बीच जुआ का खेला हुआ, जिसमें पांडवों में सबसे बड़ा पांडव राजा युधिष्ठिर अपने भाइयों, जमीनों और प्रजा के साथ पांडवों की पत्नी रानी द्रौपदी को भी जुए में हार गया।
दुर्योधन कि पांडवों से बदला लेने की काफी प्रबल इच्छा थी और इसी इच्छा के कारण वर्ष दुर्योधन ने द्रोपदी का चीर हरण करने का आदेश दे दिया।
चीरहरण के समय द्रौपदी ने श्री कृष्ण को याद करना शुरू कर दिया और उसी समय श्रीकृष्ण प्रकट हो गए और उन्होंने द्रौपदी को बचाते हुए द्रोपती के कपड़े का ऋण भी चुका दिया।
(2021 में) रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

इस साल रक्षाबंधन 22 अगस्त 2021 रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 6:15 से शुरू हो जाएगा और रात को 7:40 तक चलेगा| इस शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 13 घंटे 25 मिनट की है।
राखी बांधने का सही तरीका

वैसे तो रक्षाबंधन भाई बहनों के बीच के प्रेम को दर्शाता है इस दिन भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देती हैं परंतु यह भी माना जाता है कि यह रक्षाबंधन भाई की लंबी उम्र के लिए भी मनाया जाता है।
इसलिए यह भी काफी महत्वपूर्ण है कि इस रक्षाबंधन को मनाते हुए कुछ चीजों का ध्यान रखा जाए और सही विधि पूर्वक इसे मनाया जाए।
रक्षाबंधन को मानने की सही विधि (रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है)
भाई को राखी बांधने से पहले यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि भाई का सिर ढका हुआ होना चाहिए भाई को सीधे हाथ की तीसरी उंगली से तिलक कीजिए और कुमकुम लगाइए, कुमकुम लगाने के बाद आप भाई के मस्तिष्क पर चावल या अक्षत लगा सकते हैं।
भाई को राखी बांधते समय यह ध्यान रखना काफी आवश्यक है कि भाई के हाथ खाली नहीं होने चाहिए इसलिए आप भाई के हाथ में नारियल भी पकड़वा सकते हैं। फिर आप भाई को राखी बांध दीजिए, राखी बांधने के बाद भाई से आप नारियल ले लीजिए।
इसके बाद आप भाई को मीठा खिलाइए फिर भाई की लंबी उम्र के लिए उसकी आरती उतारे।
रक्षाबंधन में भाई के द्वारा दिए गए हुए पैसों की एक अलग ही खुशी होती है कई लोगों का मानना है कि बहनों को कभी भी
रक्षाबंधन के दिन सोना नहीं देना चाहिए क्योंकि कहा जाता है कि सोना काफी गर्म होता है जिससे बहनों का स्वभाव भी उग्र होना शुरू हो जाता है। इसलिए कोशिश कीजिएगा कि रक्षाबंधन में उपहार के स्वरुप चांदी, पैसा या कपड़ा ही दीजिए।
इसके बाद पीले सरसों लीजिए और भाई की नजर उतार के उसे पीछे फेंक दीजिए। फिर तांबे का लोटा लीजिए और उसमें गंगा जल भर दीजिए और एक फूल के द्वारा भाई पर छिड़काव कीजिए माना जाता है कि इससे भाई को रोगों से मुक्ति मिलती है।
फिर जो दीपक आपने अपनी थाल में रखा होता है उसे एकदम सेनाबू जाइए और जाकर मंदिर में रख दीजिए।
अगर भाई छोटा है तो वह अपने बहन के चरण स्पर्श कर सकता है यदि बहन भाई से छोटी है तो बहन भाई के चरण स्पर्श कर सकती है इससे वह अपने भाई या बहन को आशीर्वाद दे सकते हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हमनेरक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है या रक्षाबंधन से जुडी इतिहास इसके ऊपर विस्तार से जानकारी प्राप्त करी है और जाना की इस पर्व का हमारे जीवन में कितना महत्व है।
एक त्यौहार हमारे जीवन में और हमारे रिश्तो में कितनी खुशियां लेकर आ सकता है| कहा जाता है कि भाई बहनों का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता होता है जो सबसे पवित्र रिश्ता होता है।
इस आर्टिकल में हमने इस रक्षाबंधन त्योहार के बारे में आपको बताने की कोशिश कि और साथ में कुछ ऐसी पौराणिक कथाओं के बारे में बताने की कोशिश की है जिनका इस त्यौहार से काफी गहरा संबंध है।
कोई भी त्यौहार को मनाने की खुशी सबसे ज्यादा तब होती है जब त्योहार पूर्ण विधि-विधान से मनाया जाए इसलिए हमने इस आर्टिकल के आखिरी में आपको यह बताने की कोशिश की है कि रक्षाबंधन को किस प्रकार बनाया जाता है।
आशा करते हैं कि आपको आज का आर्टिकल काफी पसंद आया होगा और इस आर्टिकल से आपको कुछ ऐसी जानकारी प्राप्त हुई होगी जो आपके रक्षाबंधन त्योहार को और ज्यादा खुशनुमा बना देगी। आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो कृपया अपने दोस्तों और अपने भाई, बहनों के साथ भी शेयर कीजिएगा ताकि वह भी यह जानकारी प्राप्त कर सकें।
धन्यवाद!
अन्य आर्टिकल पढ़ें :
mahurt kya hain manane ka