आज इस पोस्ट में हम हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण विषय समास के ऊपर पढ़ेंगे। पिछले पोस्ट पर हमने बात किया था संधि के ऊपर अगर आपने अभी तक नही पढ़े हो तो जरूर पढ़ें
आज इस पोस्ट में जानेवाला हूँ समास किसे कहते है, समास के कितने भेद है और सारे भेदों को उदाहरण सहित अच्छे से जानेंगे।
समास किसे कहते है?

समास का अर्थ है संमिलन अर्थात दो या अधिक शब्द का मिल कर एक होना। परस्पर संबंध रखनेवाले दो या दो से अधिक स्वतंत्र शब्द को जोड़कर एक शब्द बनाना ही समास है।
जिस प्रकार दो वर्णो के मेल से संधि बनते है, उसी प्रकार दो या दो से अधिक के मेल से समास बनता है। उदाहरण: राजा का कुमार=राजकुमार
इसी प्रकार:
- सिताराम अच्छा लड़का है।
- राजकुमार शिकार खेलने गए है।
- रसोईघर में मत जाओ।
- हमें माता-पिता का कहना मानना चाहिए।
- राम ने दशानन को मारा।
ऊपर के वाक्य में-
सीताराम = सीता और राम
राजकुमार= राजा का कुमार
रोसोईघर = रोसोई का घर
माता-पिता = माता और पिता
दशानन = दस आनन(मुख) वाला
इस सामासिक शब्दों का विग्रह करने में अर्थ स्पष्ट हो जाता है। विग्रह का अर्थ है शब्दों को अलग-अलग करना। जब इनको जोड़कर लिखा जाता है तो संबंध बतानेवाले विभक्ति चिन्ह का लोप हो जाता है। जैसे कि ऊपर के शब्दों में – और का चिन्ह लुप्त हो गया। इससे अर्थ में भी विशेषता आ जाती है और विस्तार से बच जाते है।
परिभाषा:
” दो शब्दों का परस्पर संबंध सूचित करने वाले शब्दों या प्रत्ययों का लोप हो जाने पर उन शब्दों के योग को समास कहते है।”
समास के भेद या प्रकार | Samas ke kitne bhed hote hain
पदों की प्रधानता के आधार पर हम समास के छह भेद कर सकते है।
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु(dwigu) समास
- द्वंद्व(Dvandva) समास
- बहुव्रीहि समास
अव्ययीभाव समास क्या है?
प्रतिदिन घर-घर भीख मांगना ठीक नहीं है।
राम और श्याम दिन भर पास-पास बैठे रहें।
प्रतिदिन, पास-पास , ये पद अव्यय है। इसी प्रकार यथाशक्ति, अनजाने, बेशक, हरघड़ी , हांथोहाथ, तड़ातोड़ भी अव्यय शब्द है।
उपयुक्त सामासिक शब्दों में अव्यय शब्दों की प्रधानता है। ये कभी एक कभी दो और कभी पुनरुक्ति के रूप में प्रयुक्त होते है।
परिभाषा: जब किसी सामासिक पद में पहला शब्द अव्यय हो तो उसे अव्ययीभाव समास कहते है।
तत्पुरुष समास क्या है?
धनहीन का रसोईघर फूस का होता है।
उपमंत्री ठाकुरबाड़ी में गए।
मुझे यात्रीगाड़ी में एक नालायक आदमी मिला।
ऊपर के वाक्य में धनहीन,रसोईघर, उपमंत्री, ठाकुरबाड़ी, यात्रीगाड़ी, नालायक सामासिक पद है। इन सामासिक शब्दों का प्रथम पद गौण है, जबकि अंतिम पद के अर्थ का प्रधानता है।
परिभाषा: जिस समास का अंतिम पद का अर्थ प्रधान हो उसे तत्पुरुष समास कहते है।
तत्पुरुष समास वाले शब्दों का विग्रह करते समय इनमे कर्ता और संबोंधन विभक्तियों को छोड़कर अन्य सभी विभक्तियाँ लगती है । जैसे:
धनहीन = धन से हीन
ठाकुरबाड़ी = ठाकुर के बाड़ी
कर्मधारय समास क्या है?
हिमगिरि पर प्रातःकाल अच्छा लगता है।
पीतांबर और नीलकमल सुंदर दिखाई देते हैं।
हिमगिरि, प्रातःकाल, पीतांबर, नीलकमल इन सामासिक पदों में प्रथम पद विशेषण और दूसरा पद संज्ञा है। विशेषण + संज्ञा
या विशेषण + विशेषण के मिलने से कर्मधारय समास बनता है। इसे समानाधिकरण तत्पुरुष भी कहते हैं, क्योंकि शब्द के दोनों
पदों के लिंग, वचन समान होते हैं।
परिभाषा : “जिस समास में पहला पद विशेषण और दूसरा पद संज्ञा हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।”
द्विगु समास क्या है?
पंचवटी सुंदर स्थान है।
मैंने दोपहर को एक रुपये का चॉकलेट खाया।
पंचवटी, दोपहर, एक रुपये – इन सामासिक पदों में से प्रत्येक का प्रथम पद संख्यावाचक विशेषण है और दूसरा पद संज्ञा है।
इसी प्रकार –
चौपाया, त्रिभुवन, नवरत्न, तिमाही, चतुर्वर्ग, सतसई, त्रिलोक, चौमासा आदि भी द्विगु समास वाले शब्द हैं।
परिभाषा: “जिस समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण हो और दूसरा पद संज्ञा हो, उसे द्विगु समास कहते हैं।”
द्वंद्व समास क्या है?
जिस समास में सभी पदों का अर्थ प्रधान होता है। उसे द्वंद्व समास कहते हैं। जैसे-
तुम माता-पिता की आज्ञा मानो।
हमें देश की तन-मन-धन से सेवा करनी चाहिए।
असम में कंद-मूल-फल अधिक होते हैं।
आपका घर-द्वार कहाँ है?
ऊपर के वाक्यों में माता और पिता शब्द मिलाकर माता-पिता बन गया, परंतु इसमें माता तथा पिता दोनों शब्दों की प्रधानता
इसी प्रकार कंद-मूल-फल, घर-द्वार भी द्वंद्व समास हैं।
परिभाषा: ‘जिस समास में सभी पद प्रधान हो, उसे द्वंद्व समास कहते हैं।
बहुव्रीहि समास क्या है?
गिरिधारी! सबकी रक्षा करते हैं।
दशानन महा विद्वान था।
ऊपर के वाक्यों में
गिरिधारी= पहाड़ को धारण करने वाला अर्थात् श्रीकृष्ण,
दशानन = दश मुख वाला अर्थात् रावण ये सामासिक शब्द किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु का बोध कराते हैं। ये बहुव्रीहि समास के शब्द हैं।
ऐसे ही चंद्रमुखी, सपरिवार, अनाथ,
निर्दय, विधवा, कुरूप आदि भी बहुब्रीहि समास हैं।
परिभाषा: “जिस समास में कोई भी पद प्रधान न होकर दोनों पदों का संयुक्त रूप हो और पदों का अर्थ न होकर किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु का अर्थ दें, उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं।”
टिप्पणी
तत्पुरुष में कोई एक पद प्रधान होता है, द्वंद्व में दोनों या सभी पद प्रधान होते हैं, परंतु बहुब्रीहि में कोई पद प्रधान
नहीं होता और दोनों पदों का अर्थ न होकर कोई तीसरा ही अर्थ प्राप्त होता है।
निष्कर्स
तो दोस्तों मुझे उम्मीद है समास क्या है समास के कितने भेद है आप जान पाए होंगे । अगर यह पोस्ट अआप्को पसंद आया हो तो पोस्ट को जरुर अपने सोशल मीडिया पर शेयर करे।
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