संधि जो की हिंदी व्याकरण के एक बहुत ही अहम् विषय है। आज इस आर्टिकल में हम संधि के ऊपर पड़ेंगे। इस आर्टिकल में बताया गया है संधि क्या है, संधि के कितने भेद होते है और हर एक भेद को उदाहरन के साथ आसान तरीके में समझाया गया है। भाषा किसे कहते है(सम्पुना ज्ञान)

संधि क्या है- परिभाषा
हिम + आलय = अ + आ = आ = हिमालय
विद्दा + आलय = आ + आ = विद्दालय
महा + आशय = आ + आ = महाशय
औषध + आलय = अ + आ = औषधालय
शब्द में जब दो अक्षर पास-पास आते है तो उच्चारण के अनुसार उसमे मेल होकर एक विशेष अक्षर हो जाते है।
“दो वर्ण के पास-पास आने के कारन उनके मेल से जो विकार उत्पन होता है, उसे संधि कहते है. “
संधि के कितने भेद होते है | Sandhi ke kitne bhed hote hain
संधि तिन प्रकार के होते है-
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि और
- विसर्ग संधि
स्वर संधि:
परमार्थ = परम + अर्थ = अ + आ = आ
भानुदय = भानु + उदय = उ + उ = ऊ
महर्षि = महा + ऋषि = आ + ऋ = अर
कपीश = कपि + इश = इ + ई = ई
इत्यादि = इति + आदि = इ + आ = या
ऊपर के शब्द में क्रमश: परम + अर्थ, कपि + ईष , भानु + उदय , इति + आदि , महा + ऋषि दो- दो खंड है। प्रत्यक शब्द में दो स्वर पास -पास है। इन स्वरों का जब मेल हुआ तब उच्चारण के अनुसार क्रमश: आ, ई, ऊ, या अर स्वर बन गए। इस स्वरों के मेल से खंडित शव्द भी मिलकर एक हो गए और उनका रूप- परमार्थ, कपिश, भानुदय, महर्षि, जैसा हो गया।
“दो स्वरों के पास-पास आने के कारण, उनके मेल से दो विकार होता है उसे स्वर संधि कहते है”
व्यंजन संधि:
पड़ानन = षट् + आनन = ट + आ = ड़ा
उच्च्रारण = उत् + चारण = त् + चा = च्च्रा
जगदीश = जगत् + ईश = त् + ई
सज्जन = सत् + जन = त् + ज =ज्ज
ऊपर के शब्द में क्रमश: ट् + आ = ड़ा, त् + ई = दी , त् + चा = च्चाा, त् + ज = ज्ज रूप व्यंजन और स्वर के मिलने से हुआ। एक स्वर और व्तंजन या दो व्यंजन मिलकर जब एक नए व्यंजन निर्माण करते है तो उसे व्यंजन संधि कहते है। ऊपर इन नए व्यंजोनो के निर्माण के कारण क्रमश: पड़ानन, जगदीश, उच्चारण और सज्जन शब्द बने है।
” पहला वर्ण व्यंजन और दूसरा वर्ण व्यंजन या स्वर हो तो इनके संधि को व्यंजन संधि कहते है।“
विसर्ग संधि:
पुरस्कार = पुर: + कार = : + कार =स्क
दुरुपोयोग = दू: + उपयोग = : + उ = रू
निरोग = नि: + रोग = : + र = र
निर्गुण = नि: + गुण = : + ग = ग्र
प्रात:काल = प्रात: + काल = : + क =क
उपर के शब्द में विसर्ग के मेल से दो वर्ण कर्मश: इस प्रकार परिवर्तन हुआ है –
: + क = स्क , : + उ = रु , : + र = र, : + ग =ग्र, : + क = क
अत: विसर्ग सब आपने पास के स्वर या व्यंजन से मिलता है तो वर्ण में परिवर्तन हो जाता है। इस परिवर्तन से कभी तो या वर्ण आ जाते है और कभी वर्ण लुप्त हो जाता है. जैसे कि ऊपर दिखाया गया है। विसर्ग में परिवर्तन या मेल से ही ऊपर के शब्द – पुरस्कार , दुरुपोयोग, निरोग, निर्गुण, और प्रात:काल बने है।
“ जब विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन का मेल होता है तो उसे विसर्ग संधि कहते है। “
संधि ज्ञान से लाभ
- वर्ण कि संधि के ज्ञान से हम शब्द के टुकड़े का सकते है।
- इससे शब्दों के अर्थ को अच्छी तरह से समझा सकते है।
- नया वर्ण किस प्रकार निर्माण होता है, इसका भी ज्ञान होता है।
- वर्ण कभी कभी लुप्त भी हो जाते है, यह भी समझ सकते है।
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