संज्ञा के कितने भेद होते हैं? | Sangya ke kitne bhed hote hain

samgya kise kahte hai

आज हम इस पोस्ट में हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण विषय संज्ञा के बारे में पढ़ेंगे। इस पोस्ट में हम जानने वाले है संज्ञा क्या है, संज्ञा के कितने भेद होते है और इन भेदों को उदाहरण सहित जानेंगे।

संज्ञा क्या है- sangya kise kahate hain?

  • धीरेंद्र ब्रह्मपुत्र में नहाता है।
  • अमेरिका में सोना बहुत है।
  • असम में तेल बहुत होता है।

ऊपर के वाक्य में क्रमशः ब्रह्मपुत्र, असम, अमेरिका , तेल , सोना ये सब संज्ञा है।

परिभाषा: “किसी वस्तु, प्राणी, स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते है।”

संज्ञा के भेद | Sangya ke kitne bhed hote hain?

संज्ञा के पाँच भेद होते है-

  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
  2. जातिवाचक संज्ञा
  3. समूहवाचक संज्ञा
  4. द्रव्यवाचक संज्ञा
  5. भाववाचक संज्ञा

Note: हिंदी व्याकर में कुछ विद्वान समूहवाचक संज्ञा और द्रव्यवाचक संज्ञा को जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत मानते है।

व्यक्तिवाचक संज्ञा:

  • गुवाहाटी सुंदर नगर है।
  • शंकरदेव भारत के महान संत थे।
  • सती जयमती और रानी लक्ष्मीबाई वीर नारियां थे।
  • नील नदी मिस्र में बहती है।

गुवाहाटी, शंकरदेव, लक्ष्मीबाई, नील नदी, मिस्र आदि शब्द किसी व्यक्ति , नदी, देश आदि के नाम है। ये विशिष्ट नाम वाले संज्ञा व्यक्तिवाचक संज्ञा है।

परिभाषा: “ये संज्ञा शब्द जिनसे किसी व्यक्ति, स्थान आदि के विशिष्ट नाम सूचित हो, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है”।

जातिवाचक संज्ञा:

  • असम के सभी औरोते कपड़ा बुनना जानती है।
  • कश्मीर में फल बहुत होते है।काजीरंगा में पशु बहुत है।
  • जयपुर में भवन सुंदर है।

औरतें, कपड़ा, फल, पशु, भवन ये शब्द एक-एक जाति के प्रतिनिधित्व कर रहे है। “औरत” शब्द किसी भी औरत के लिए प्रयुक्त हो सकता है। इसी प्रकार कपड़ा, फल, पशु, भवन, पक्षी, मनुष्य, नदी, पहाड़, वृक्ष आदि भी जातिबोधक है।

परिभाषा : “वे शब्द जिससे किसी वस्तु प्राणी या पदार्थ की संपूर्ण जाति का बोध होता है, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते है।”

समूहवाचक संज्ञा:

  • मेले में भीड़ होती है। ।
  • कक्षा में ही सभा होगा।

मेला, भीड़, कक्षा, सभा, आदि शब्द समूहवाचक है। मेला में अनेक आदमी होते है। इसी प्रकार भीड़ , कक्षा, सभा, गुच्छा, झुंड़, टोली, सेना आदि भी समूहवाचक शब्द है।

परिभाषा: “वे शब्द जिनसे पदार्थ या प्राणियों के समूह का बोध होता है, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते है”।

द्रव्यवाचक संज्ञा:

  • उत्तर प्रदेश में ग्रेहू अधिक खाया जाता है।
  • असम में चावल अधिक खाया जाता है।
  • सोना और चांदी से आभूषण बनते है।
  • आजकल दूध में पानी अधिक मिलाया जाता है।

ग्रेहू, चावल , सोना, चांदी, दूध, पानी ये शब्द द्रव्यवाचक है। इन द्रव्य को मापा या तोला जा सकता है। लोहा, घी, दही, तांबा आदि भी द्रव्यवाचक संज्ञा है।

परिभाषा: “वो शब्द जिनसे किसी द्रव्य का बोध हो और उन द्रव्य को जिसे नापा या तोला जोखा जा सके, द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है”।

भाववाचक संज्ञा:

  • उमेश बचपन में बहुत खेलता था।
  • चोरी करना अच्छा नहीं है।
  • चीनी में मिठास अधिक होती है।
  • फूल में खुशबू होती हैं।

बचपन,चोरी, मिठास, खुशबू- इन शब्द से किसी अव्यस्था, गुण, दोष,व्यापार आदि का बोध होता है। शीतलता, गर्मी, धूप, शत्रुता, मित्रता, खट्टापन आदि भी इसी प्रकार का शब्द है।

ये शब्द किसी भाव को प्रकट करते है। भाव बताने वाले संज्ञा शब्द भाववाचक संज्ञा है।

परिभाषा: “वे शब्द जिनसे किसी वस्तु या प्राणी के गुण , दोष, अवस्था, अथवा भाव का बोध हो उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते है”।

हिंदी व्याकरण

निष्कर्ष:

तो दोस्तों हमे उम्मीद है संज्ञा किसे कहते है, संज्ञा के कितने भेद होते है? आप जान गए होंगे। इसी तरह से हिंदी व्याकरण से संबंधित जानकारी पाने के लिए हमारे साथ बने रहे। लेख को यहाँ तक पढने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |

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