आज इस पोस्ट में हम हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण विषय वचन के बारे में पड़ेंगे | इस आर्टिकल वचन किसे कहते है, वचन कितने प्रकार के है , वचन के प्रोयोग उदाहरन सहित बहुत अच्छी से बताया गया है|

वचन किसे कहते है?
परिभाषा: विकारी शब्द का वह रूप, जिससे उसकी संख्या का बोध होता है, वचन कहलाता है।
हिंदी में केवल दो ही वचन होते हैं, जिससे एक वस्तु का बोध होता है, वह एकवचन और एक से अधिक वस्तु के बोध करानेबाली संज्ञा बहुवचन होती है।
एकवचन | बहुवचन |
लड़का खेलते हैं। | लड़के खेलते है। |
वचन के भेद कितने है? | Vachan ke kitne bhed hote hain
वचन दो प्रकार के होते है-
- एकवचन: शब्द के जिस रूप से एक होने का पता चले उसे एकवचन कहा जाता है। जैसे- चूहा, घडी
- बहुवचन: शब्द के जिस रूप से उनके संख्या में एक से अधिक होने का पता चलता है, उसे बहुवचन कहा जाता है। जैसे- चूहे, घड़ियाँ
वचन प्रयोग संबंधी कुछ विशेष बातें
1.आदर सूचित करने के लिए एकवचन के स्थान पर बहुवचन का प्रयोग होता है और इसका प्रभाव सीधे विशेषण और क्रिया पर पड़ता है। जैसे-
- रमेश अच्छा लड़का है।
- रमेश जी अच्छे लड़के हैं।
- गांधी जी हमारे राष्ट्रपिता हैं।
- पिता जी आ रहे हैं।
- गुरु जी अच्छे आदमी हैं।
2.हिंदी की कुछ संज्ञाएँ बहुवचन में ही प्रयुक्त होती हैं। जैसे –
- मुझे पिताजी के दर्शन हुए।
- मेरे तो प्राण सूख गए।
- आपके क्या समाचार हैं?
3. किसी-किसी शब्द का रूप एकवचन और बहुवचन में समान रहता है। ऐसे शब्द का रूप बहुवचन सूचित करने के लिए उसके साथ सब, गण, वृंद, लोग इत्यादि समूहवाचक शब्द लगा देते हैं। जैसे-
- सभी विद्यार्थी आपसे मिलने आए हैं।
- सदस्यगण चले गए।
- छात्रवृंद खेल रहे हैं।
- आपलोग यहाँ बैठे।
4. जातिवाचक संज्ञा की अधिकता सूचित करने के लिए बहुधा उसका प्रयोग एकवचन में होता है। जैसे-
- सियार चालाक होता है।
- इस वर्ष आम खूब फला है।
- आदमी विचारशील प्राणी होता है।
- मोहम्मद को इनाम में बहुत रुपया मिला।
5. ईकारांत संज्ञा को जब विभक्ति सहित बहुवचन वाली संज्ञा में बदलता हो तब अंत का ‘ई’ ह्रस्व ‘इ’ हो जाता है और इसमें’यों’ प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे
- भाई = भाई+यों – भाइयों को
- माली = मालियों को
- सखी = सखियों को
- आदमी = आदमियों से
- लड़की = लड़कियों को
6. इतिवाचक, द्रव्यवाचक, समूहवाचक और भाववाचक संज्ञाएँ सामान्यतः एकवचन में प्रयुक्त होती हैं, किंतु जब ये बहुवचन में प्रयुक्त होती हैं, तब जातिवाचक हो जाती हैं और प्रायः संख्या या प्रकार का बोध होता है। जैसे-
- पुरियों में सात प्रसिद्ध हैं। (व्यक्तिवाचक)
- सब तेलों में ब्राह्मी श्रेष्ठ है। (द्रव्यवाचक)
- मेलों में सर्वश्रेष्ठ कुंभ का मेला है। (समदायवाचक)
- खटाईयो में इमली खटाई का क्या मुकाबला?( भाववाचक)
एकवचन स बहुवचन बनाने के नियम
1. अकारात पुलिग को छोड़कर बाकी सभी पुलिंग संज्ञाओं के रूप विभक्ति रहित कर्ता कारक के एकवचन और बहुवचन में समान रहते हैं। जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
भाई आया है। | भाई आए। |
मित्र गया। | मित्र गए। |
शिकारी दौड़ा। | शिकारी दौड़े। |
साधु पहुंचा। | साधु पहुँचे। |
2. आकारात पुंलिंग शब्द के अंतिम ‘आ’ को विभक्ति रहित कर्ता कारक के बहुवचन में ‘ए’ कर देते हैं। जैसे-
- रास्ता- रास्ते,
- बच्चा – बच्चे
अपवाद – काका, चाचा, मामा, राजा।
टिप्पणी– उपर्युक्त बहुवचन में विभक्ति लगा देने से एकवचन हो जाएगा। जैसे- बच्चे ने ।
3. आकारात स्त्रीलिंग संज्ञा कर्ता कारक के रूप में हो तो उसके अंतिम ‘अ’ के स्थान पर बहुवचन में’ए’ हो जाता है।जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
आँख | आँख+एँ = आँखें |
याद | यादें |
बात | बातें |
पुस्तक | पुस्तकें |
4.आकारांत, उकारांत औकारांत स्त्रीलिंग संज्ञाओं में ‘एँ’ जोड़कर विभक्ति रहित कर्ता का बहुवचन रूप बन जाता है । जैसे
एकवचन | बहुवचन |
माता+एँ | माताएँ |
लता | लताएँ |
गों | गौएँ |
वस्तु | वस्तुएँ |
5. इकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा को विभक्ति रहित कर्ता के रूप में बहुवचन बनाने के लिए अंत में ‘याँ’ जोड़ना चाहिए। जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
तिथि | तिथियाँ |
जाति | जातियाँ |
नीति | नीतियाँ |
6. ईकारांत संज्ञा को भी ऊपर के नं.5 के अनुसार बहुवचन बनाया जाता है।
एकवचन | बहुवचन |
लड़की | लड़की +याँ-लड़कियाँ |
साड़ी | साड़ी + याँ- साड़ियाँ |
विभक्ति सहित संज्ञाओं का बहुवचन बनाना-
1. विभक्ति लगने से बहुवचन वाली संज्ञाएँ निम्नप्रकार बनाई जाती हैं-
(अ) अकारांत संज्ञा के ‘अ’ को ‘ओं’ में बदल कर-
- बालक ने – बालकों ने
- बात में – बातों में
(आ) आकारंत संज्ञाओं के ‘आ’को ‘ओं’ में बदल कर –
- घोड़े को – घोड़ों को
- झगड़े – झगड़ों में
(इ)आकारांत स्त्रीलिंग शब्दों में ‘ओं’ जोड़ कर
- माता ने – माताओं ने
- कन्या ने – कन्याओं ने
- विधवा ने – विधवाओं ने
- अध्यापिका ने – अध्यापिकाओं ने
(ई) उकारांत, एकारांत, औकारांत संज्ञाओं के अंत में ‘ओं’ जोड़कर-
- साधु ने – साधुओं ने
- वस्तु को – वस्तुओं को
- दूबे ने – दूबेओं ने
- गौ को – गौओं को
(उ) ऊकारांत संज्ञाओं के ‘ऊ’ को ‘उ’ में बदल कर ‘ओं’ जोड़ने से –
- आलू का – आलुओं का
- चाकू से – चाकुओं से
- बहू ने – बहुओं ने
(ऊ) ओकारांत संज्ञा से ‘ओं को जोड़ कर
- रासो की – रासोओं की
(अ) विभक्तियुक्त याकारांत संज्ञाओं में ‘या’ को ‘यो’ बदल कर-
- पहिया से – पहियों से
- बिटिया ने – बिटियों ने
- खटिया पर – खटियों पर
आ) इकारांत संज्ञाओं में ‘यों’ जोड़कर
- पति को – पतियों को
- जाति को – जातियों को
- रीति को – रीतियों को
(इ) ईकारांत संज्ञाओं की ‘ई’ को ‘इ’ में बदल कर ‘यों’ जोड़ कर-
- माली ने – मालियों ने
- लड़की को – लड़कियों को
वचन की पहचान कैसे होती है?
वचन की पहचान मुख्यतः दो प्रकार से होते है-
1.संज्ञा या सर्मनाम के द्वारा: वय्क्य में आये संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से एकवचन या बहुवचन की पहचान होती है। जैसे
एकवचन | बहुवचन |
बच्चा हंस रहा है | बच्चे हंस रहे है |
वह आज मेरे घर आएगा | वे आज मेरे घर आएगा |
मै खेलेंगे | हम खेलेंगे |
2. क्रिया के द्वारा : वाकया में क्रिया के द्वारा एकवचन और बहुवचन के पहचान होते है। जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
साधू तपस्या कर रहा है | साधू तपस्या कर रहे है |
भालू नृत्य कर रहा है | भालू नृत्य कर रहे है |
लेखक लिख रहा है | लेखक लिख रहे है |
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